मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के खौंप गांव में स्थित हरी बगिया मनोवैज्ञानिक पोषण वाटिका ने बंजर भूमि को हरा-भरा बना दिया है जो एक अनोखी मिसाल है। सिद्धांत वर्ष पहले शुरू हुआ इस परियोजना में आज 2300 फलदार औषधियां बड़े पैमाने पर हो रही हैं, रासायनिक देखभाल में रसायन या रसायन का बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया गया है। इसके बजाय, पारंपरिक जैविक रसायन शास्त्र का सहारा लेकर गोबर खाद और देसी रसायनों का उपयोग किया गया है। यह पूरा प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी जारी किया गया है, जो इसकी सफलता और स्वतंत्रता के महत्व को दर्शाता है।

गोबर खाद का उपयोग: जैविक खेती की नींव
इस पोषण वाटिका की समीक्षा करने वाली रचना कुशवाहा ने लोकल 18 को बताया कि इन लैपटॉप की सफलता के पीछे कड़ी मेहनत और बायोलॉजिकल इन्वेस्टमेंट का योगदान है। रासायनिक खादों के स्थान पर गोबर से बनी खाद का उपयोग किया जाता है। रचनाएँ बताती हैं कि गोबर खाद बनाने की प्रक्रिया बेहद सरल है, लेकिन इसके परिणाम उत्कृष्ट हैं।

गोबर खाद बनाने की प्रक्रिया
रचना के अनुसार, सबसे पहले मगरमच्छ से गोबर इकट्ठा किया जाता है, जो गाय या भैंस दोनों का हो सकता है। 1 सॉसेज़ गोबर में 1 किलोवाट बेसन, 1 किलोवाट साडा गुड़ और 1 लीटर गोमूत्र बनता है। इन सभी को हाथों से मिलाया जाता है और फिर चारे से ढकेलकर रखा जाता है, ताकि ये जल्द से जल्द सड़क पर खाद में बदल सके। खाद तैयार होने के बाद इसे बोरी में स्टिकर के रूप में उपयोग किया जाता है। किसी भी उपकरण को यदि कच्चा या मुरझाया हुआ देखा जाता है, तो पहले उसकी गुड़ाई कर उसमें मिट्टी डाल दी जाती है। इसके बाद, अधिकृत में पानी-भरा खाद को घोल दिया जाता है, जिससे पौधे फिर से हरा-भरा हो जाता है।

रसायन विज्ञान का जैविक विकल्प
किसी भी रसायनिक रसायन शास्त्र का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके बदले, नीम, बेशरम, अकौआ, धतूरा और सीताफल की 5 रेस्ट को पानी के साथ मटके में मठ्के खोदने दिया जाता है। जब यह मिक्स किया जाता है, तो इसे रेटिंग पर छिड़का जाता है, जहां ग्लूकोज का प्रकोप होता है। रचनाएँ बताती हैं कि इस प्रक्रिया में किसी भी मशीन का उपयोग नहीं होता है, बस बाल्टी या टैसले से ही बनाया जाता है, और यह पूरी तरह से प्राकृतिक है।

हरि बगिया की सफलता और भविष्य
यह मनोवैज्ञानिक पोषण वाटिका 6 स्टॉक में फोटो खींची गई है, जहां ड्रिप इरिगेशन से को पानी दिया जाता है। पहले एक साल तक पानी की कमी के कारण, सभी सदस्यों ने पानी की कमी के कारण तालाबों से पानी की बरामदगी की खोज की। अब ड्रिप इरिगेशन से सींच की सुविधा है, जिससे तकनीशियन की देखभाल आसान हो गई है।

हरि बगिया पोषण वाटिका एक सफल उदाहरण है कि कैसे पारंपरिक और जैविक वैज्ञानिक का उपयोग करके बंजर भूमि को भी हरा-भरा बनाया जा सकता है। यह वाटिका न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि जैविक खेती की दिशा में भी एक प्रेरणा है।

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