खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन की क्रांति से पहले भील यूनिवर्सिटी के बीएससी एग्रीकल्चर के छात्र अब पढ़ाई के साथ खेती-किसानी के छात्रों को भी समझेंगे। दिन में कॉलेज में पढ़ाई और शाम को छात्र खेती के गुर सीखेंगे। यूनिवर्सिटी ने पीयाज कॉलेज के बॉटनिकल गार्डन की 2 भूमि भूमि पर खेती के लिए आइडियोयू साइन किया है, जिससे छात्रों को सीधे तौर पर अनुभव प्राप्त होगा।

बता दें कि बीएससी एग्रीकल्चर के कोर्स में 60% प्रैक्टिकल और 40% थ्योरी शामिल है। इस पहल के तहत, छात्र पीजीआई कॉलेज की 13 एकड़ जमीन में से 2 जमीन पर खेती करेंगे। विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. गैस चौहान का कहना है कि यह भूमि छात्रों के लिए पर्याप्त है और यहां खेती के विभिन्न तकनीकी सिद्धांतों की गहराई से अध्ययन कर फ़ायदा होता है। प्रैक्टिकल में विभिन्न ब्लॉक तैयार करके छात्र खेती की तलाश करेंगे, जिससे उन्हें बेहतर अनुभव प्राप्त होगा।

पहले साल में ही सभी पहली बार फुल
बीएससी एग्रीकल्चर की पहली बार शुरुआत में सभी 80 छात्र शामिल हुए। इस विषय को लेकर लंबे समय से छात्रों और उद्यमियों में उत्साह था और अब विश्वविद्यालय में कृषि की पढ़ाई के साथ-साथ प्रैक्टिकल भी शुरू हो गया है। 1 अक्टूबर से इस कोर्स की नियमित सैलून संचालित की जा रही हैं।

सीखेंगे खेती-किसानी
विश्वविद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ छात्र-छात्राओं को खेती करने का मौका मिलेगा। खेती-किसानी के प्रैक्टिकल के माध्यम से छात्र हर दिन नई-नई कंपनियां और एमबीए से डूबे होंगे। इससे उन्हें पढ़ाई के साथ वास्तविक जीवन में खेती के अनुभव का लाभ मिलेगा, जो भविष्य में उनके लिए बेहद जरूरी होगा।

जिले की कृषि को बढ़ावा
यूक्रेन, खरगोन कृषि प्रधान जिला है और यहां सबसे पहले यहां की खेती को एक नया आयाम देने वाली बात साबित हो सकती है। कृषि शिक्षा में सुधार और छात्रों की बेहतर तैयारी से लेकर जिलों में खेती के उन्नत प्रचार का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। जिले में कृषि क्षेत्र को भी भौगोलिक स्थिति प्रदान की जाती है। विश्वविद्यालय में 6 प्रोफेसर कृषि शिक्षा विभाग के पद पर नियुक्त किये गये हैं, जिनमें तीन अतिथि विद्वान शामिल हैं।

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