राजानंदगांव: नगर निगम द्वारा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में करोड़ों रुपये खर्च कर उद्यान, ओपन जिम और महान विभूतियों की मूर्तियां, असामाजिक तत्वों का शिकार का शिकार हो रहे हैं। मूर्तियों के अभाव में कई जगहों पर मूर्तियां रची गई हैं और ओपन जिम के उपकरण गायब हो गए हैं। नगर निगम प्रशासन और परियोजना के तहत जनता इन सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पा रही है, शहर की प्रकृति को भी भारी नुकसान हो रहा है।

सौन्दर्यीकरण पर असंख्य खर्च, दृष्टि के अभाव में टुकड़े-टुकड़े
शहर में सौंदर्यीकरण के नाम पर दशकों से करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं। इसके बावजूद, निगम प्रशासन की दृष्टि में कमी और अनियमित खर्च के कारण सौंदर्यीकरण के कई प्रोजेक्ट अंतिम स्थिति में हैं। ऐतिहासिक सुभाष द्वार के सौंदर्यीकरण के बाद भी वहां जगह-जगह पोस्टर चिपकाए जाने से इसका मूल रूप से विमोचन किया गया है। इसी तरह, जी रोड से शीतला मंदिर मार्ग तक बनाए गए उद्यान में भी लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद अभाव का उजाड़ हो गया है। अब इसका नाम शिवाजी पार्क रखा गया है, लेकिन यहां भी केवल शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित की गई है और उद्यान पूरी तरह से उपेक्षित है।

त्रिवेणी परिसर और अन्य उद्यानों में भी
त्रिवेणी परिसर में साइंटिस्टों की प्रतिमाएं और गार्डन में भी असामाजिक तत्वों की सराहना की गई है। इस प्रकार की घटनाओं से शहर की प्रकृति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नगर निगम के कार्यपालन इंजीनियर यूके रामटेके ने कहा कि निगम द्वारा असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि त्रिवेणी परिसर की मूर्तियां तो नहीं हैं, लेकिन कुछ उपदेशी तत्व ओपन जिम के उपकरणों को इधर-उधर कर देते हैं। ऑल गार्डन का कोचिंग नियमित रूप से किया जाता है, हालांकि स्थिर स्थिति प्रशासन की ओर से दी जाती है।

सुंदरता पर लाखों करोड़ों का खर्च, फिर भी सुविधा का लाभ अधूरा
शहर के मूल निवासियों के लिए नगर निगम द्वारा लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन इसका फायदा जनता तक बिल्कुल नहीं पहुंच पा रहा है। सौंदर्यीकरण के कार्य दर्शन के अभाव में लंबे समय से उपेक्षित पड़े हैं। जिन प्लेस पर उद्यान और अन्य निर्माण कार्य किए गए थे, वहां निगम प्रशासन की स्थिति से सामंजस्य है।

टैग: छत्तीसगढ़ समाचार, स्थानीय18

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