नारायण गुप्ता

कटनी. मेसर्स यूरो एसोसिएशन इंडस्ट्रीज़ के 2 डायरेक्टर्स के फ़र्ज़ी हस्ताक्षर करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जमानतदार को खारिज कर दिया है। चौथे ने कटनी जिले के बड़े पैमाने पर मछुआरों में शामिल हरनीत सिंह लांबा और सुंदर सलूजा के फर्जी हस्ताक्षर किए, उन्हें न केवल कंपनी के कंडक्टर पद से हटाया गया बल्कि अरबों रुपये का हेर-फेर किया गया। इसकी एफआईआर कटनी प्लांट और माधवनगर पुलिस ने दर्ज की। इसके साथ ही 420 के खिलाफ अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

काउंट हरनीत सिंह लांबा ने बताया कि करोड़ों की जांच करते हुए सिहोरा के हरगढ़ स्थित मेसर्स यूरो सिंबल इंडस्ट्री कंपनी में डायरेक्टरी बनाई गई थी। शुरुआत में सब ठीक चला, लेकिन फिर कंपनी के कुछ लोगों ने बिना जानकारी के ही करोड़ों का लौह अयस्क बाहर बेच दिया। इसकी जानकारी में ही इसका विरोध किया गया है। फिर चार लोगों ने मेरे और सुरैया के खिलाफ सलूजा की साजिश रचते हुए फर्जी दस्तावेज बनाए। फिर हम दोनों को डायरेक्टरीशिप से बाहर कर दिया और कंपनी की लाखों की एफडी डीकंप्रेसन की।

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लवर कोर्ट से भी नहीं मिली थी जमानत

वहीं सुरेंद्र सलूजा ने बताया कि हमारे साथ हुई धोखाधड़ी के मामले में कटनी पुलिस को शिकायत दी गई थी। कंपनी के 3 डायरेक्टर और एक सघनतम सामग्रथ, सुनील अग्रवाल, सन्मति जैन और लाची मॅकल्स के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद जमानतदारों ने पहले लवर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की कोशिश की, उनकी याचिका खारिज कर दी गई। आपको बताते हैं कि इस पूरे मामले का मास्टर माइंड रायपुर का महेंद्र गोयनका बताया जा रहा है। इसकी स्थापना पर कंपनी के चारों प्रमुखों ने पूरा खेल खेला है। फुटेज कटनी पुलिस महेंद्र गोयनका की भूमिका का पता लगाया गया है।

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