बिलासपुर: खेती में उच्च उत्पाद और बेहतर गुणवत्ता की सुनिश्चितता के लिए मिट्टी की जांच बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। मिट्टी परीक्षण का मुख्य उद्देश्य लक्ष्य के अनुसार पोषक तत्वों की सही मात्रा का प्रबंधन करना है, जिससे उत्पादन में किसानों के साथ-साथ लागत में भी कमी आती है। मिट्टी के प्रमाण-पत्रों का सही उपयोग किया जा सकता है, जिसके लिए प्रमाणित के लिए 12 प्रमुख पोषक तत्वों की आपूर्ति की आवश्यकता होती है।

किसानों में मतभेद परीक्षण के प्रति रुचि की कमी
जिलों में खुदाई परीक्षण की सुविधा और इसके स्थानों के बारे में जानकारी के बावजूद किसान अभी भी मिट्टी की जांच में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जिले के करीब 346 लाख किसानों ने खुद से मिट्टी की जांच कराई है। वहीं, कृषि अधिकारियों द्वारा पिछले 10 वर्षों में 2,22,388 किसानों की मिट्टी की जांच की गई है। ये वे किसान हैं जो अपनी फसल के निर्माण और मिट्टी के पोषण को बनाए रखने के लिए सलाहकार हैं। 2023-24 के लिए 4,000 और 2024-25 के लिए 2,000 किसानों की मिट्टी जांच का लक्ष्य रखा गया है।

मिट्टी का नमूना लेने की प्रक्रिया
सहायक कृषि विक्रेता ने बताया कि मिट्टी का नमूना सही तरीके से लिया जाना अत्यंत आवश्यक है ताकि सहायक कृषि विक्रेता के लिए जांच की जा सके। नमूना का नमूना या पहचान से एक माह पहले लिया जाना चाहिए। इसके लिए खेत के 8-10 अलग-अलग जगहों से मिट्टी ली जाती है और लगभग 500 ग्राम का मॉडल तैयार किया जाता है. इस मशीनरी को स्नैप में चावल किसान अपने खेत की जानकारी जैसे नाम, गांव, तहसील, जिला, आधार नंबर, मोबाइल नंबर और खेत का खसरा नंबर दर्ज कर परीक्षण केंद्र में जमा कर सकते हैं।

नमूना समय-बजाये जाने वाली सावधानियाँ
विखंडन परीक्षण अधिकारी ने बताया कि नमूना लेते समय कुछ विशेष चेतावनी कलाकारों को देनी चाहिए। जैसे-समीक्षा-नीची जगह, मेढ़, पानी की नाली और जंगल की जगह के पास से नमूना नहीं लेना चाहिए। साथ ही खादी या मानक के ढेर के पास से भी नमूना न लें। खेत वाले खेत से नमूना लेने से लेकर रिस्क परिणाम तक उपलब्ध नहीं हैं। आदर्श को हमेशा स्टोर साफा में रखना चाहिए।

किसानों को मिल रहे लाभ
असिस्टेंट एग्रीकल्चर डॉक्टर के वसीयत ने बताया कि कृषकों के लिए भेदभाव परीक्षण से कई फायदे होते हैं। सबसे प्रमुख यह है कि इस खेती के दौरान लागत में कमी आती है। मिट्टी की जांच से किसान जान सकते हैं कि वे अपने खेत में कितनी मात्रा में मसाले, फास्फोरस और पोटेशियम (एनपीके) का उपयोग कर सकते हैं, जिससे उनकी लागत बढ़ जाती है। परीक्षण के बाद दिए गए सुझावों का पालन करने से फसल का उत्पादन भी कम हो जाता है, जिससे किसानों को अधिक लाभ होता है।

टैग: छत्तीसगढ़ समाचार, स्थानीय18

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