बिलासपुर: छत्तीसगढ के बिलासपुर में शारदीय नवरात्रि के अवसर पर एक प्रेरणादायक सामाजिक पहल सामने आई है, जिसमें शहर के युवाओं की एक टीम ने 500 प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट को नए वस्त्र उद्योग बनाने का बेड़ा उठाया है। इसकी पहली शुरुआत 12 साल पहले सोमी कश्यप ने की थी, जब वे अपने व्यक्तिगत नमूने से 5 टुकड़ों को फ्रॉक की ओर ले गई थीं। उनका उद्देश्य था कि दशहरा और जैसे बड़े त्योहारों पर हर बच्चे के पास नए कपड़े हों, ताकि वे भी इन त्योहारों में खुशियां मना सकें। धीरे-धीरे यह छोटी सी पहली एक बड़ी मुहिम में परतें हो गईं, जिसमें हर साल अलग-अलग हिस्सों को नई परतें पिलाई जा रही हैं।
इस साल भी इस टीम का लक्ष्य 500 के दशक में नए परिधानों का निर्माण हुआ, ताकि वे भी त्योहार की खुशियों का हिस्सा बन जाएं। इस अभियान की खास बात यह है कि यह टीम किसी से चंदा नहीं मांगती, बल्कि इसके सभी सदस्य अपने निजी योगदान से धन जुटाते हैं। इस नेक काम के साथ ही यह युवा टीम कन्या पूजन भी करती है, जिसमें छुट्टी के पैर ढोकर को प्रतिष्ठित किया जाता है। नवरात्रि के इस पावन पर्व पर आयोजित इस अभियान में समाज ने एक सकारात्मक संदेश फैलाया है, जिससे हर साल कई लोग जुड़ते रहते हैं।
सैकड़ों अंतराल तक पहुंच अभियान
सोमी कश्यप ने बताया कि 12 साल पहले सोमी कश्यप ने नवरात्रि के दौरान 5 बच्चियों को फ्रॉक भेंट करके इस पहल की शुरुआत की थी. आज इस अभियान में इतनी वृद्धि का भुगतान किया गया है कि हर साल अलग-अलग हिस्सों को नए कपड़ों के विवरण दिए गए हैं। कन्या पूजन के साथ किया गया सम्मान, नए आभूषण बनाने के साथ ही मनाया जाता है कन्या पूजन का विधान। उनकी पैर ढोकर पूजा की जाती है और फिर उन्हें खाद्य पदार्थ भी पिलाये जाते हैं। माता वैष्णव देवी मंदिर में हुआ आयोजन इस वर्ष का वस्त्र वितरण कार्यक्रम बामा-नागोई स्थित माता वैष्णव देवी मंदिर में आयोजित किया गया।
निजी योगदान से पूरा होता है अभियान
यह टीम किसी से चंदा नहीं मांगती. सभी सदस्य अपने निजी योगदान से पैसे इकट्ठा करते हैं। यदि कोई भी व्यक्ति मदद करना चाहता है, तो उसकी सहायता स्वीकार की जाती है, लेकिन आर्थिक मदद मांगना टीम का उद्देश्य नहीं है।
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पहले प्रकाशित : 11 अक्टूबर, 2024, 13:50 IST