रायपुर: सिर्फ माँ की ममता ही नहीं पिता के संघर्ष से भी बच्चे के प्रति प्यार झलकता है। पिता के परिवार के पोषण के लिए जीवन भर संघर्ष करना पड़ता है। यह संघर्ष पिता इसलिए करता है ताकि उसके बच्चों को कोई संघर्ष न करना पड़े। ऐसे में आज हम आपको ऐसी सनसनीखेज कहानी बताएंगे जो आपको पिता के प्यार से रूबरू कराएगी। भरतपुर, बालोद जिले के डौंडीलोहारा विकासखंड के ग्राम डुबचेरा में एक बच्चे को स्कूल आने-जाने में परेशानी हो रही थी। इसे देखते हुए उनके पिता संतोष साहू ने बेटों के लिए जुगाड़ कर इलेक्ट्रिक साइकिल बनाई।

संतोष के बेटे किशोर कुमार अपने गांव से 20 किमी दूर स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल अर्जुनदा में आठवीं की पढ़ाई करते हैं। स्टूडेंट्स टीनएजर के पिता संतोष ने बताया कि उन्होंने यह पेंसिल साल 2021 में बनाई थी। हालाँकि, उनका बनाया हुआ यह साइकल अब सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है और उसकी चर्चा हो रही है। जुगाड़ से बनाई गई यह साइकिल दो बैटरी से चलती है। यह साइकिल 6 घंटे में पूरी तरह चार्ज होकर 80 किमी तक चलती है। जुगाड़ से बनी यह इलेक्ट्रिक साइकिल आज जिलों सहित पूरे प्रदेश में चर्चा में है और अब संतोष के पास इलेक्ट्रिक साइकिल बनाने के ऑर्डर आ रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि उनके लिए भी आपकी पसंद की किताबें बनाई गई हैं।

सोशल मीडिया में साइकल जर्नल पर संतोष के पास अभी तक कुल 4 तानाशाह आ चुके हैं और उसके बाद इलेक्ट्रिक साइकल बनाने का काम आएगा। संतोष का बेटा किशोरवय स्कूल से बस जा रहा था लेकिन स्कूल से छुट्टी के बाद घर आने के लिए बस मिल नहीं पाया। इससे उनके मन में प्रेरणा आई कि क्यों न बैटरी से चलने वाली साइकिल जारी की गई। फिर उन्होंने यूट्यूब से ट्यूटोरियल और सामान मंगाया। उसके बाद दो दिन में ही जुगाड़ से इलेक्ट्रिक साइक्लोन बना दिया गया।

आपको बता दें कि संतोष फ़्रांसीसी फ़्रांसीसी साइकलिस्ट और वेल्डर हैं, तो उन्हें साइक्लोन बनाने में बहुत ज़्यादा दिलचस्पी नहीं है। इस साइकिल से किशोर के स्कूल जाने का सफर बहुत आसान है।

पहले प्रकाशित : 8 अक्टूबर, 2024, 14:24 IST

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