अपूर्व शुक्ला
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने फैसला सुनाया कि एससी श्रेणियों के भीतर अधिक पिछड़े लोगों के लिए अलग से कोटा देने की अनुमति है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 6 फैसले हैं, सभी एकमत हैं। बहुमत ने ईवी चिन्नैया के फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि उप-वर्गीकरण की अनुमति नहीं है। न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने असहमति जताई।
इस ऐतिहासिक निर्णय से कुछ अनुसूचित जाति संगठनों की तीन दशकों से अधिक पुरानी मांग समाप्त हो गई है, जिनमें तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में मंडा कृष्ण मडिगा के नेतृत्व में मडिगा आरक्षण पोराटा समिति भी शामिल है।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का विवरण यहां अपडेट किया जाएगा…