बिलासपुर. आस्था बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी मिलन की खबर के बाद विश्वनाथ के मंदिरों में घी और प्रसाद की मूर्ति की धूम मच गई है। छत्तीसगढ़ के कई प्रमुख मंदिर, जैसे बिलासपुर के महामाया मंदिर, काली मंदिर और अन्य धार्मिक स्थानों पर नवरात्रि के दौरान मोती ज्योति जलाने के लिए शुद्ध घी के उपयोग का निर्णय लिया जाता है। यह सुनिश्चित करने के लिए बैठक की आवश्यकता है कि इस बार नवरात्रि में प्रमाणित और ब्रांडेड मंदिर घी का ही उपयोग किया जाए।

नवरात्री के अंतर्गत हजारों की संख्या में मनोनीत ज्योति कलश शोभायमान हुए। इसके लिए देवभोग घी जैसी विश्वसनीय कंपनी से पहले ही घी चुकाया जा सकता है। इसके अलावा, मंदिर मंदिर ने प्रशासन से शहर में घी की गुणवत्ता की जांच की मांग की है ताकि निवेशकों के लिए शुद्ध प्रसाद और भोजन तैयार किया जा सके। इस विवाद को देखते हुए सरकार ने सभी शक्तिपीठों में देवभोग घी के इस्तेमाल का सरकर जारी किया है। इसके तहत सभी चित्रों को निर्देशित किया गया है कि वे नवरात्रि में घी की गुड़िया का पूरा ध्यान रखें और किसी भी विवाद से बचने के लिए कदम उठाएं।

नवरात्रि में विशेष विवरण
बिलासपुर के महामाया मंदिर और अन्य प्रमुख मंदिरों में नवरात्रि के दौरान 31 हजार से अधिक मन ज्योति कलश की स्थापना की योजना बनाई गई है। इसके लिए लगभग 5 हजार ज्योतों में घी का प्रयोग किया जाएगा, जिसे देवभोग जैसे ब्रांडेड सोसायटी से मंगाया गया है।

घी की शुद्धता की जांच अनिवार्य होगी
मंदिर ने नवरात्रि में इस्तेमाल होने वाले घी की गुणवत्ता को लेकर क्रैकर निर्णय लिया है। घी की प्रयोगशाला से पहले इसकी जांच होगी। साथ ही, जिला प्रशासन से भी शहर में उपलब्ध घी की गुणवत्ता की जांच की मांग की गई है।

देवभोग घी का प्रयोग अनिवार्य है
घी विवाद को देखते हुए सरकार ने सभी शक्ति पीठों और पीठों में देव भी घी के उपयोग के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में मतदाताओं को आवश्यक कदम उठाने के आदेश भी दिए गए हैं ताकि नवरात्रि में किसी भी प्रकार की कमी न हो।

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