रायपुर. छत्तीसगढ़ में अब धान संबंध को लेकर मौसम बन रहा है। एक ऑडियो वायरल हो रहा है जिसमें किसानों को धान की फसल पर रोक लगाने की बात कही जा रही है। इतना ही नहीं 3 निकोलस के क्रिस्टोफर का ऑर्डर भी सोशल मीडिया पर वायरल है। इसमें कहा गया है कि किसान रबी सीजन में धान की खेती न करें। हालाँकि ऑडियंस और ऑर्डर को लेकर किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं है। अब इस मामले को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर जोर दिया है।

पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने कहा कि बीजेपी सरकार की धान की खेती प्रभावित हो रही है.
किसान बिज़नेस या अफ़्रीकी खेती नहीं कर रहे हैं. राज्य सरकार किसानों को धान की खेती करने से रोके। उन्होंने दावा किया कि कई अछूतों के गांव कोटवारों से मुनादी करा रहे हैं।

धान की खेती पर असफलता क्यों?
असल, छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है और धान का कटोरा व्यापारी है। पिछले कुछ प्राचीन राज्य का वॉटराल लेवल नीचे दिखाया गया है। धान की खेती के लिए काफी पानी की जरूरत होती है। ऐसे में कई एशिया में पानी की कमी के कारण धान की उपज भी खराब हो जाती है, जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है। यहां, मस्जिद, मक्का और दलहन की समुद्र में पानी की जरूरत थोड़ी कम है।

14 नवंबर से शुरू हुई है धान समस्या

छत्तीसगढ़ 14 नवंबर से धान संबंध शुरू हुआ। विष्णु देव का कहना है कि सरकार 27 लाख से अधिक किसानों से धान की खरीद समर्थन मूल्य पर करेगी। किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने 2739 उपार्जन सुविधाएं बनाई हैं, जहां से धान की आपूर्ति की जाएगी। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने घोषणा की कि उनके सरकारी किसानों को भी 72 घंटे के अंदर भुगतान करना होगा।

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पिछले साल की तुलना में इस साल 1 लाख 35 हजार नए किसानों ने अपॉइंटमेंट लिया है। धान उत्पादन केंद्र में किसानों की मदद के लिए बायो मार्केटिंग की योजना बनाई गई है। सभी छोटे और बड़े किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचते हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बालोद जिले के नये धान उपार्जन भाठागांव में धान की शुरुआत की थी।

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