भोपाल. मध्य प्रदेश में चल रहे चीता प्रोजेक्ट को लेकर बड़ी खबर है। प्रदेश सरकार ने इस परियोजना से जुड़े एक आर्टिफिशियल एप्लिकेशन का जवाब अस्वीकार कर दिया। सरकार ने इस एप्लिकेशन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि चीता प्रोजेक्ट ‘राष्ट्रीय और देश की एकता-अखंडता’ का मामला है। सरकार के इस जवाब से वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट हैरान और नाखुश हैं। वो ये नहीं समझ पा रहे कि चीता प्रोजेक्ट का राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की एकता-अखंडता से क्या लेना-देना है। यह आर्टिफिशियल एप्लीकेशन एक्टिविस्ट अजय देवगन ने दिया था। वे इस प्रोजेक्ट को लेकर यह जानना चाहते हैं कि श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में चीटों की देखभाल किस तरह की जा रही है।
अजेय यह भी जानना चाहते हैं कि चीतों का दूसरा घर मंदसौर जिले में स्थित गांधी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में बसाने की क्या योजना है। सरकार ने उनके इस आर्टिफिशियल एप्लिकेशन को आर्ट एक्ट की धारा 8 (1) (ए) के तहत व्यावहारिक उत्तर देने से इनकार कर दिया। आरटीआई सुरक्षा अधिनियम की इस धारा में प्रावधान है कि यदि इससे देश की एकता-अखंडता को खतरा होता है तो अधिकारी अपना उत्तर अस्वीकार कर सकते हैं।
पहली बार हुआ ऐसा
इसे लेकर अजय देवगन का कहना है कि यह पहली बार हुआ है कि चीता प्रोजेक्ट से जुड़ी कोई भी जानकारी राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ी गई हो। मेरा उद्देश्य इस प्रोजेक्ट की जानकारी हासिल करना था। लेकिन, अधिकारियों ने इसे टाल दिया. भोपाल से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, ईसा ने इसी साल फरवरी में कहा था कि उन्हें आर्ट मीडिया के माध्यम से एक तस्वीर मिली थी। इस तस्वीर में चीते के शावक के पैर में बैंडेज बंधा हुआ था। ये तस्वीर सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई थी. इसके बाद जेसन ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी (एनटीसीए) से शिकायत की थी कि मध्य प्रदेश के वन अधिकारियों ने घायल होने की सूचना नहीं दी है।
पहले प्रकाशित : 26 जुलाई, 2024, 10:53 IST