नमदापुरम. मध्य प्रदेश के तीन स्थानों को रामसर साइट का टैग मिला हुआ है। एमपी के तवा अभयारण्य, तमिलनाडु के नंजरायण पक्षी अभयारण्य, काजुवेली पक्षी अभयारण्य को भारत के रामसर तीर्थों की सूची में जोड़ा गया है। इन तीन स्थानों के रामसर सूची में शामिल होने पर पर्यावरण मंत्री को भी खुशी की तलाश है।
मुख्यमंत्री ने भी रचाई ख़ुशी
पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि यह उपलब्धि प्रकृति के साथ मिलकर स्थापित की गई है, हमारी आर्द्रभूमियों को अमृत भंडार मिलाने और उनके संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जोर पर लगातार काम किया जा रहा है। नाम जुड़ने के बाद सीएम मोहन यादव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ”मध्य प्रदेश के लिए एक और उपलब्धि, तवा फोरम ने रामसर साइट बनाई. यह भारत के साथ-साथ मानचित्र के लिए भी गर्व का विषय है कि तवा फोरम को रामसर साइट घोषित की गई है, मैं सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।”
तवा हुक्म की खूबियाँ
तवा शिक्षण निगम पुरम जिले के इटारसी शहर के पास है। संस्था का निर्माण मुख्यतः सीलिंग के उद्देश्य से किया गया था, हालांकि बाद में इसका उपयोग बिजली उत्पादन और जलीय कृषि के लिए भी किया जाने लगा। तवा का कुल डूब क्षेत्र 20,050 हेक्टेयर है। संस्था का कुल जलग्रहण क्षेत्र 598,290 हेक्टेयर है। हरदा और नवादा के किसानों की तवा की वजह से तकदीर बदली। तवा एसोसिएशन का निर्माण तवा और डेनवा नदियों के संगम पर वर्ष 1978 में हुआ था। मलैनी, सोनभद्र और नागद्वारी नदी तवा की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। तवा निर्धारण वन विभाग जिला नॉमूलापुरम के नियंत्रण में आता है। राष्ट्रीय सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अंदर और सतपुड़ा उद्यान व बोरी अभयारण्य की पश्चिमी संस्थाएं हैं। जलीय वनस्पतियों और लिथुआनियाई सुपरस्टार्स और वन्य जीवों के लिए महत्वपूर्ण है।
रामसर साइट और कन्वेंशन क्या है?
1971 में जैव विविधता को बनाए रखने के लिए विश्व भर के वेटलैंड को संरक्षित करने की दिशा में चित्रण की ओर से एक सम्मेलन हुआ था। यह कन्वेंशन ईरान के रामसर में हुआ था। यहां इंटरनेशनल वेटलैंड संधि पर कई देशों ने हस्ताक्षर किए थे. रामसर साइट विश्व के अलग-अलग मानक में वेटलैंड हैं। टैब से विश्व के अलग-अलग देशों में जैव विविधता से लेकर वन्य वेटलैंड की पहचान कर इसे रामसर साइट का टैग देकर इसे संरक्षित किया गया है।
टैग मिलने के फायदे
रामसर साइट की घोषणा से पहले ही यह तय कर दिया गया है कि यहां तरह-तरह के पक्षियों के नमूने दर्ज हो रहे हैं। यहाँ का इकोसिस्टम क्या है. इसके बाद एक निश्चित वैश्विक मानक के तहत इसे संरक्षित किया गया है। ऐसे जीवों पर समान निर्माण और अन्य संरचनाओं को रोका जाता है, जिससे वेटलैंड की जैव विविधता प्रभावित होती है। रामसर साइट का टैग मीटिंग से उस वेटलैंड पर पूरी तरह निगरानी रखी जाती है। उसे जानवरों की विभिन्न प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए तैयार किया गया है।
टैग: होशंगाबाद समाचार, मोहन यादव, मध्य प्रदेश सरकार
पहले प्रकाशित : 17 अगस्त, 2024, 20:13 IST