मंदिर के पुजारी मदनलाल जीस ने लोकल 18 से कहा कि, यह मंदिर स्मारक स्मारक मार्ग में आता है। नर्मदा पुराण, स्कंद पुराण के रेवा खंड आदि पुराणों में भी मंदिर का उल्लेख है। राजा शालिवाहन राजा के राज्य की सीमा का अंतिम छोर माना जाता है। यहां उनकी पूजा की स्थापना की जाती है।

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