आईआईटी प्रवेश, एमबीबीएस प्रवेश: अपनी पढ़ाई-लिखाई के दम पर डॉक्टर-इंजीनियर बनने का ख्वाब देखने वाले कई बच्चों के सपने पर ग्रहण लगाते हैं, जब उनकी राह में फीस के कारण अंतर आ जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ दो होनहार स्टूडेंट्स के साथ। दोनों ने गरीबी के बीच जैसे-तैसे 12वीं तक की पढ़ाई की, उसके बाद नीट और जेईई जैसी हार्ड क्रैक की, और जब स्टूडेंट लेने की बारी आई, तो फ़ेक टेक्नॉलजी नहीं। एक ने गांव वालों से चंदा फेक तोटेकई, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, और कॉलेज ने अध्ययन से मना कर दिया। अपने सपने को मरता देख युवक ने सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर अब मुलाक़ात की आस जगी है। ये दोनों मामले अलग-अलग शहरों के हैं। आइए जानते हैं कि ये दोनों केस कहां हैं और ये दोनों होनहार कौन हैं?
पहला मामला उत्तर प्रदेश के अतुल कुमार का है। स्थापना के टिटौड़ा गांव में रहने वाले छात्र अतुल कुमार के घर की माली हालत ठीक नहीं है। अतुल के पिता एक फैक्ट्री में मजदूर हैं और मां गृहिणी हैं। 18 साल पहले अतुल ने ऐसे-तैसे बारहवीं की परीक्षा पास की और अपनी पढ़ाई के दम पर जेईई परीक्षा भी पास कर दी। जेईई में अच्छे स्कोर के कारण उन्हें आईआईटी में इलेक्ट्रिक इंजीनियर की सीट अलॉट हो गई, लेकिन खराब आर्थिक स्थिति के कारण उन्होंने फीस जमा करने की आखिरी तारीख 24 जून तक पैसा नहीं पाया। अतुल ने गांववालों से चंदा और उधार लेकर किसी तरह की फीस के पैसे वसूले, लेकिन तय समय में फीस जमा नहीं होने पर आईआईटी ने उन्हें मंजूरी से खारिज कर दिया।
दक्षिणी न्यायालय के लिए पर्यटक
अतुल हर हाल में आईआईटी में पढ़ना चाहते थे और इंजीनियर बनना चाहते थे। वह अपनी ड्रीम बुक को टूटे हुए नहीं देखना चाहती थीं। लगता है, अतुल ने झारखंड उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय से भी आध्यात्म की उपाधि प्राप्त की, लेकिन कोई हल नहीं निकला। अंतिम उम्मीद लेकर वह सुप्रीम कोर्ट अमेरिका. कई सुनवाई के बाद आज चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने आईआईटी डेड को अतुल कुमार का आदर करने का आदेश दिया।
शंकरसन मंडल का कैसे होगा ग्राहक
इसी तरह का दूसरा मौका ओडिशा के शंकरसन मंडल का है। 19 वर्षीय छात्र शंकरसन मंडल के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। शंकरसन ने चाकापाड़ा में स्थित सरकारी ओडिशा आदर्श विद्यालय से बारहवीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद बिना किसी कोचिंग के नीट परीक्षा की तैयारी के लिए घर रुका, और वह इस परीक्षा में पास हो गया। कंधमाल जिले के मुनिगुड़ा गांव में रहने वाले शंकरसन ने इसी साल NEET-UG परीक्षा पास की है। NEET परीक्षा में अच्छे स्कोर के कारण उन्हें तमिलनाडु के सरकारी कुडालोर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एमबीबीएस की सीट अलॉट हो गई। सीट मिलने के बाद डॉक्टरों की कमी के कारण वह फ़ीस नहीं भर पा रहे हैं। इस मेडिकल कॉलेज की स्टूडेंट फीस 93,000 रुपये है, जो शंकरसन मंडल के परिवार के लिए उपलब्ध है।
अब सीएम से निःशुल्क मदद की बात
शंकरसन मंडल के एसोसिएट्स ने ओडिशा के मोहन मुख्यमंत्री चरण माझी को शुल्क भुगतान के लिए पत्र दिया है। टाइम ऑफ इंडिया में छपी खबर में बताया गया है कि छात्र की मां देवकी देवी का कहना है कि शंकरसन की कड़ी मेहनत और ईश्वर के आशीर्वाद से उनका चयन एमबीबीएस के लिए हुआ। हमारे पास तीन पैसे नहीं हैं कि हम अपनी पढ़ाई का खर्च उठाते हैं, हमें मुख्यमंत्री जी से मदद की ज़रूरत है।
टैग: आईआईटी, आईआईटी के पूर्व छात्र, आईआईटी बॉम्बे, ईट कानपुर, आईआईटी मद्रास, आईआईटी रूड़की, एमबीबीएस छात्र, सुप्रीम कोर्ट, भारत का सर्वोच्च न्यायालय
पहले प्रकाशित : 30 सितंबर, 2024, 19:00 IST