World Health Organization ke anusar bharat me gair jaroori caesarean section ghat sakti hai. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में गैर जरूरी सिजेरियन सेक्शन घट सकती है।


हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि भारत में 29 फीसदी से ज्यादा डिलीवरी सिजेरियन हो रहीं हैं, जिनका सामान्य प्रसव किया जा सकता था। विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत में इस संख्या को घटाने की सिफारिश कर रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया स्टडी के अनुसार, विश्व स्तर पर ख़ास कर भारत में सिजेरियन सेक्शन का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। इन दिनों जरूरत नहीं होने के बावजूद सिजेरियन डिलिवरी अधिक की जा रही है। वास्तव में सिजेरियन जीवनरक्षक सर्जरी होती है। यदि इसे चिकित्सीय आवश्यकता न होने के बावजूद कराया जाता है, तो यह महिलाओं और शिशुओं के स्वास्थ्य को कम समय और लंबे समय तक दोनों रूप से अनावश्यक जोखिम में डाल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन इसके नुकसान की ओर इंगित करता है। यह गाइडलाइन जारी कर भारत में गैर जरूरी सिजेरियन सेक्शन को घटाने (C section delivery in India) की बात कहता है।

एक तिहाई डिलीवरी हो रही हैं सी सेक्शन

विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर उपलब्ध शोध के अनुसार, विश्व में सभी प्रसवों में से 5 में से 1 यानी 21 प्रतिशत सिजेरियन सेक्शन से प्रसव होते हैं। आने वाले दशक में यह संख्या बढ़ती रहेगी। 2030 तक सभी जन्मों में से लगभग एक तिहाई (29%) सीज़ेरियन सेक्शन (C section delivery in India) द्वारा होने की संभावना है।

सीजेरियन सेक्शन उन स्थितियों में जीवन बचाने के लिए जरूरी है, जहां वेजाइनल डिलिवरी जोखिम पैदा कर सकती है। इस समय किए गए सभी सीज़ेरियन सेक्शन चिकित्सा कारणों से जरूरी नहीं होते हैं। अनावश्यक सर्जिकल प्रक्रियाएं महिला और उसके बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकती हैं।

सी-सेक्शन के हो सकते हैं साइड इफेक्ट (C section side effects)

लंबे समय तक फीमेल संबंधी जटिलताओं में से एक स्कार का रह जाना शामिल है। यह मासिक धर्म के बाद स्पॉटिंग, डिसमेनोरिया, सीज़ेरियन स्कार, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी और पेल्विक पेन से जुड़ा हो सकता है। यह क्रोनिक पेल्विक पेन और कम प्रजनन दर से जुड़ा हो सकता है। इनके अलावा कई और जटिलताएं जुड़ी हैं। बहुत अधिक ब्लड लॉस होना, पैरों में ब्लड क्लॉट होना, यूट्रस लाइनिंग में संक्रमण, अस्पताल में औसतन 3 से 5 दिन या 72 से 120 घंटे रुकना, घाव के आसपास दर्द होना, कमर दर्द, पीठ दर्द की समस्या होना भी हो सकता है।

लंबे समय तक फीमेल संबंधी जटिलताओं में से एक स्कार का रह जाना शामिल है। चित्र : एडोबी स्टॉक

जरूरी है लेबर केयर गाइडलाइंस को फॉलो करना (Labor Care Guidelines) 

भारत में की गई एक स्टडी में पाया गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के गाइडलाइंस को लागू करने से प्रसव के दौरान महिलाओं की देखभाल में सुधार करने और अनावश्यक सिजेरियन सेक्शन डिलिवरी को कम करने में मदद मिल सकती है।

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नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष के अनुसार, डब्ल्यूएचओ का लेबर केयर गाइड दुनिया का पहला रैंडम ट्रायल है। शोधकर्ताओं की टीम में कर्नाटक के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ता भी शामिल थे। इसके तहत भारत के चार अस्पतालों में पायलट परीक्षण किया।

क्या है एलसीजी (Labor Care Guide or LCG)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की लेबर केयर गाइड (एलसीजी) एक पेपर-आधारित लेबर मॉनिटरिंग टूल है। डब्ल्यूएचओ के नवीनतम दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन की सुविधा के लिए इसे प्रसव और प्रसव के दौरान प्रभावी और रिस्पेक्टफुल केयर के लिए डिज़ाइन किया गया है।

कम हो सकेंगी अनावश्यक सी सेक्शन डिलीवरी (c section can be avoided in some cases)

अध्ययन से पता चलता है कि लेबर केयर गाइड के नियमित क्लिनिकल ​​देखभाल को लागू करना संभव है। इसमें व्यस्त, सीमित-संसाधन सेटिंग्स शामिल हैं। एलसीजी को दुनिया भर में जन्म देने वाली महिलाओं के लिए क्लीनिकल ​​और सपोर्टिव केयर में सुधार के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी किया गया था। एलसीजी में अनावश्यक सिजेरियन सेक्शन को कम करने की क्षमता है, जिससे माताओं और उनके बच्चों के स्वास्थ्य को खतरा (C section delivery in India) होता है।

delivery ke baad pooree tarah swasth hone par hi apne aakaar men lautne kee taiyaari karen
लेबर केयर गाइड को प्रसव और प्रसव के दौरान प्रभावी और रिस्पेक्टफुल केयर के लिए डिज़ाइन किया गया है।चित्र : अडोबी स्टॉक

चलते-चलते

जब सही समय पर इसका उपयोग किया जाता है, तो सिजेरियन सेक्शन स्वास्थ्य परिणामों में सुधार कर सकता है। लेकिन इसका अक्सर बिना चिकित्सा आवश्यकता के उपयोग कर लिया जाता है। जब एलसीजी को अच्छी तरह से लागू किया गया, तो बिना किसी नुकसान के सिजेरियन सेक्शन दरों में कमी (C section delivery in India) आई।

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