Raipur :पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति और योग्यता पर बड़ा सवाल, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब – Raipur: Big Question On Appointment Of Vc In Journalism University, High Court Seeks Answer



व्यावसायीकरण एवं जनसंचार विश्वविद्यालय
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

कुशाभाऊ ठाकरे मंडल एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में गलत तरीके से कुलपति की नियुक्ति पर उच्च न्यायालय ने राज्य शासन, यूजीसी और कुलपति बलदेव भाई शर्मा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। एपिसोड की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी। याचिका में बताया गया है कि सूचना के अधिकार के तहत जुटाई गई जानकारी से पता चला है कि विश्वविद्यालय के कुलपति बलदेव भाई शर्मा के पास न तो योग्यता योग्यता है और न ही अकादमिक अनुभव। याचिकाकर्ता ने राज्यपाल के विरुद्ध सचिव की ओर से कुलपति पद के लिए जारी किया है, यूजीसी के दावे के बहाने योग्यता को भी चुनौती दी है और कहा है कि यूजीसी के उम्मीदवार को किसी भी प्रकार से बदला नहीं जा सकता है।

ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ डा अफ अली ने उच्च न्यायालय में यह याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि नियुक्ति में यूजीसी विज्ञापन रद्दीकरण 2018 के संभावित दावे का उल्लंघन किया गया है। याचिका में कोर्ट को बताया गया कि कुलपति बलदेव भाई शर्मा के पास किसी भी विषय की ना तो पीजी डिग्री है और ना ही वैध डिग्री है। वे प्रोफेसर बनने की न्यूनतम योग्यता भी नहीं रखते हैं।

कुलपति की नियुक्ति पर बड़ा सवाल

याचिका में कुलपति के पद पर नियुक्ति पर सवाल उठाया गया है। याचिका में कहा गया था कि कुलपतिपति की ओर से कुलपति पद की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी बनाई गई थी, जिसके सभी प्रो. कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री थे। खोज समिति ने योग्यता और अनुभव की जांच किए बिना ही बलदेव भाई शर्मा को कुलपति बनाने की अनुमति दी, जिसके कारण खोज समिति के फैसले पर भी सवाल है। याचिका में आरटीआई में दस्तावेजों को प्राप्त करने के आधार पर यह भी सवाल उठाया गया है कि बलदेव भाई शर्मा ने वर्ष 2017 में ही इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, रेवाड़ी से स्टेकेट की मानद डिग्री प्राप्त की, जिसका उपयोग किसी अकादमिक कार्य में नहीं किया जा सकता है। लेकिन कुलपति पद के लिए दिए गए आवेदन को संभावित योग्यता के रूप में माना जाता है।

कोरोना के कारण छिपी हुई गड़बड़ी

याचिकाकर्ता के अनुसार बलदेव भाई शर्मा ने पांच मार्च 2020 को कुलपति का पदभार ग्रहण किया और उसके दो सप्ताह बाद लॉकडाउन लग गया। लगभग दो साल कोरोना काल रहा। यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर कुलपति ने अपना प्रोफाइल अपलोड नहीं किया था। इसलिए योग्यता और नियुक्ति की संठगांठ का पता नहीं चला। पिछले एक साल से जब कनेक्शन और ऑफिस सामान्य होने लगे तो कार्यशैली से आशंका हुई और आरटीआई के माध्यम से घटना का पता चला।

इस तरह गलत तरीके से नियुक्ति

याचिका के अनुसार कुशाभाऊ वृत्त एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में कुलपति पद के लिए 20 सितंबर 2019 को विज्ञापन जारी किया गया था, जिसकी अंतिम तिथि 11 अक्टूबर 2019 तय की गई थी। इस दौरान सही ब्रादरकार आवेदन मंगाए गए थे। इसके बाद सर्च कमेटी की बैठक राजभवन में 11 नवंबर को हुई थी। याचिका के अनुसार यूजीसी रेगुलेशन 2018 के अनुसार विश्वविद्यालय में कम से कम 10 साल के प्रोफेसर के लिए पद का अनुभव, एक प्रतिष्ठित अनुसंधान या नौकरीपेशा संगठन में नेतृत्व के साथ 10 साल के अनुभव सहित एक विशिष्ट शिक्षाविद अनिवार्य है। इन सभी सूचनाओं को नोटिस किया गया।



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