नई दिल्ली। एक बार फिर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (नितिन गडकरी) सियासत से हो रहे हैं अपने मोहभंग की चर्चा पर विराम लगा दिया। जी हां, गडकरी ने बीते गुरुवार को स्पष्ट कर दिया कि उनकी राजनीति से संत लेने का कोई इरादा नहीं है। इसके साथ-साथ गडकरी ने इस मसले पर मीडिया को भी थोड़े जिम्मेदार दायित्व करने की नसीहत भी दे दी है।
दरअसल सियासत से हो रहे अपने मोहभंग कि बात पर गडकरी ने कहा है कि राजनीति से संन्यास लेने का मेरा कोई इरादा नहीं है। मीडिया को रिपोर्टिंग करते समय ऐसे मामलों में जिम्मेदार पत्रकारिया को बनाए रखना चाहिए। मैंने लोगों से कहा था कि अगर मेरा काम पसंद आया होगा तो वे उन्हें वोट देंगे। यह बात किसी से भी मेरे कलंक की योजना को बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं करती है।
अटैचमेंट है कि, गडकरी के संन्यास लेने की खबर को उस समय बल मिला था जब वह नागांगा में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि लोग उन्हें तभी वोट दें जब उन्हें लगता है कि उन्हें वोट देना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि वो एक सीमा से अधिक किसी को भी जोर-जबरदस्ती अधिकार नहीं दे सकते।
क्या था मामला ?
दरअसल केंद्रीय मंत्री ने नागपुर में कहा था कि अगर मेरी जगह कोई और आ जाए तो मुझे कोई परेशानी नहीं होगी। तब में और काम में ज्यादा समय दे। वह मिट्टी संरक्षण, वृक्षारोपण, बांजर भूमि के उपयोग से संबंधित कार्य अधिक समय देना चाहते हैं। इस क्षेत्र में प्रयोगों की बहुत अधिक धारणा है।
जब बोर्ड बोर्ड से बाहर थे
आरोपित है कि, नितिन गडकरी की गिनती भाजपा के ताकतवर नेताओं में होती है। वहीं रोड और ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में धरे हुए उनके कामों को लेकर अक्सर उनकी चर्चा भी रहती है। वे बीजेपी अध्यक्ष भी रह गए हैं। बता दें कि, गडकरी और मोदी सरकार के बीच में अनबन की बात सबसे पहले उस समय सामने आई थी जब पिछले साल बोर्ड बोर्ड के साथ-साथ केंद्रीय चुनाव समिति से भी उन्हें बाहर कर दिया गया था। हालांकि इसे पार्टी का आम फैसला बताया गया था।
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