MLA, कलेेक्टर, CEO समेत 8 अधिकारी और जनप्रतिनिधियों से 19 बार हुई शिकायत, अब 2 टीमें कर रही जांच | 8 officers and public representatives including MLA, Collector, CEO complained 19 times, now 2 teams are investigating

बीजापुरएक घंटा पहले

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डमी फोटो - Dainik Bhaskar

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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 8 साल पहले हुए पंचायत सचिव भर्ती प्रक्रिया में बड़े घोटाले के आरोप लगे हैं। पंचायत सचिव भर्ती प्रक्रिया में अपनाई गई भारी अनियमितता की लिखित शिकायत विधायक, कलेक्टर, जिला पंचायत CEO समेत 8 अधिकारी और जनप्रतिनिधियों से की जा चुकी है। पिछले 5 माह में ही करीब 19 बार लिखित शिकायत हुई है। जिसके बाद बीजापुर के कलेक्टर और जिला पंचायत CEO ने अलग-अलग 2 जांच दल बनाकर मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

दरअसल, 30 अप्रैल 2015 को जिला पंचायत बीजापुर से पंचायत सचिव के कुल 28 रिक्त पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। जिसे संसोधित करते हुए 27 पद स्वीकृत करते हुए दोबारा विज्ञापन पत्र जारी किया गया। आरोप है कि संशोधित विज्ञापन पत्र में तत्कालीन जिला पंचायत CEO के हस्ताक्षर हैं। लेकिन, जावक क्रमांक अंकित नहीं है और न ही सूचना का प्रकाशन सही तरीके से किया गया है। साथ ही संशोधित विज्ञप्ति जारी करने की नोटशीट में जिला पंचायत CEO की तरफ से अनुमोदन ही नहीं किया गया है।

ऐसा बताया जा रहा है कि, आरक्षण रोस्टर के नियमों को दरकिनार कर संशोधित विज्ञापन जारी किया गया था। कुछ अभ्यर्थियों ने वरीयता सूची में जगह पाने के लिए अवैध तरीके से फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र का भी सहारा लिया। नियम के अनुसार दावा आपत्ति निराकरण के बाद अंतिम वरीयता सूची को जिला पंचायत और जनपद पंचायत कार्यालय की सूचना पटल पर प्रकाशित किया जाना था, जो कि नहीं किया गया। जिससे पंचायत सचिव भर्ती प्रक्रिया में अपनाए गए पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं।

पूरी भर्ती प्रक्रिया में दावा आपत्ति निराकरण के बाद दो दिनांकों 6 जुलाई 2015 और 31 जुलाई 2015 को वरीयता सूची जारी की गई थी, जो बेहद संदेहास्पद है। आरोप है कि इस वरीयता सूची को भी जिला या फिर जनपद पंचायत के सूचना पटल पर चस्पा ही नहीं किया गया था। साथ ही पूर्व में जारी वरीयता सूची में चयनित अभ्यर्थियों के प्रवर्गों में भी संशोधन किया गया। भर्ती प्रक्रिया में पात्र अभ्यर्थियों को दरकिनार कर अपा़त्र अभ्यर्थियों को वरीयता सूची में जगह दिलाने आरक्षण रोस्टर नियमों का पालन नहीं किया गया था। अपने चहेते अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से पूरी भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं अपनाई गई थी।

5 माह में की गई 19 लिखित शिकायतें

2015 में हुए सचिव भर्ती प्रक्रिया में बरती गई अनियमितताओं की जांच व संलिप्त जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग को लेकर अब लगातार शिकायतें की जा रहीं हैं। शिकायतकर्ता विकास मोरला, सुशील कुमार दुर्गम, प्रताप सिंह सेमल और गोविंदा मडकम ने शिकायत की है। सचिव भर्ती प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं से संबंधित लगातार मिल रही शिकायतों के बाद जिला पंचायत CEO रवि कुमार साहू ने 26 सितंबर 2022 को तीन सदस्यीय जांच दल गठित किया गया था। गीत कुमार सिन्हा, उप संचालक पंचायत की अध्यक्षता में गठित इस जांच दल में बतौर सदस्य ललित दास माणिकपुरी, समन्वयक और आर.बी. कुरैशी, लेखाधिकारी को शामिल किया गया था। जांच दल को पूरे मामले की जांच 10 दिनों के भीतर पूरी कर जांच प्रतिवेदन जिला पंचायत CEO के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिये गए थे।

कलेक्टर ने भी दिए जांच के आदेश

ग्राम पंचायत सचिव भर्ती 2015 में हुई गड़बड़ी और त्रुटियों के परिणाम स्वरूप आवेदकों की नियुक्ति न किए जाने के संबंध में प्राप्त शिकायत पर 13 दिसंबर 2022 को कलेक्टर के अनुमोदित एक और जांच आदेश डिप्टी कलेक्टर बीजापुर ने जारी किया था। जिला पंचायत CEO रवि कुमार साहू की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय इस जांच दल में एम.के. नारंग लेखा अधिकारी, जिला कार्यालय बीजापुर और ऋषिकेश सिंह सिदार, रोजगार अधिकारी, जिला कार्यालय बीजापुर को बतौर सदस्य शामिल किया गया है। कलेक्टर के अनुमोदित इस जांच दल को 1 सप्ताह के भीतर पूरे मामले की जांच कर जांच प्रतिवेदन सौंपने का आदेश जारी किया गया है।

जांच में दोषी पाए जाने पर होगी कार्रवाईविक्रम

इस पूरे मामले में बीजापुर विधायक और बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विक्रम मंडावी ने भी मीडिया को अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा कि, शिकायत उन्हें प्राप्त हुई हैं। मामले की गंभीरता को समझते हुए पंचायत सचिव 2015 में हुए भर्ती प्रक्रिया की जांच के लिए जिले के कलेक्टर को पत्र लिखा गया है। विधायक मंडावी ने कहा कि, जांच प्रतिवेदन आने पर भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी या अनियमितताएं पाई जाती है तो संबंधित पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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