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भोपाल, मध्य प्रदेश (मध्य प्रदेश) के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में तीन और चीतों को छोड़ दिया गया है। इसके साथ ही यहां के घने इलाकों में अब तक कुल छह चीटियां जा चुकी हैं। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। मुख्य मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जे एस चौहान ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि तीन चीतों (अग्नि, वायु नाम के दो नर चीते और गामिनी नाम की एक मां चीता) को शुक्रवार को केएनपी के लिए ट्रेड में छोड़ा गया। इन तीनों को दक्षिण अफ्रीका से भारत लाया गया था।
चौहान ने कहा कि इसी के साथ केएनपी के कारोबार में अब तक छह चीतों की संख्या बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि अब बाड़ों में 11 चीते और चार शावक हैं। अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल सितंबर में केएनपी स्पेक्टॉन्स में आठ चीतों में से अब तीन मां चीता और एक नर चीता बाड़े में हैं।
उन्होंने कहा, “नामीबिया की एक माँ चीता को अगले कुछ दिनों में जंगल में छोड़ दिया गया है। एक अन्य मादा चीता को जंगल में नहीं छोड़ा जा सका था, क्योंकि उसने शावकों को जन्म दिया था। तीसरी माँ चीता जंगल में जाने के लिए अभी तैयार नहीं है।” अधिकारी के अनुसार, नामीबिया के नर चीता ओबान, जो बार-बार क्षेत्र से निकलकर निकलते हैं, उन्हें भी बाड़े में रखा गया है। पांच मा और तीन नर चीतों आठ चीतों को नामीबिया से पिछले साल 17 सितंबर को भारत में चीतों को फिर से बसाने की योजना सहित ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत केएनपी में लाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन चीतों को बाड़ों में छोड़ दिया था।
इसके बाद सात नर और पांच सहित मां 12 चीतों को इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से केएनपी लाया गया। इन 20 स्थानांतरित चीतों में से तीन चीतों-दक्ष, साशा और उदय की पिछले दो महीनों में बाड़े में मौत हो गई। वहीं, सियाया नाम के चीते ने इस साल मार्च में केएनपी में चार शावकों को जन्म दिया था। 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में भारत में चीते की आखिरी मौत हो गई थी और 1952 में इस प्रजाति को देश से विलुप्त कर दिया गया था।