बो: मध्य प्रदेश (मध्य प्रदेश) के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (कुनो राष्ट्रीय उद्यान) में चौथी चीता (चीता) शावक की स्थिति स्थिर है। एक वन अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पिछले साल सितंबर में नामीबिया से केएनपी में पड़ी थी ज्वाला नाम की मां चीते ने इस साल मार्च के आखिरी हफ्ते में चार शावकों को जन्म दिया था, जिनमें से तीन शावकों की तीन दिन पहले मौत हो गई है, जबकि चौथे शावक का इलाज चल रहा है । ज्वाला को पहले सियाया नाम से जाना जाता था।
केएनपी में भारत में पैदा हुए तीन चीता शावकों की मौत होने से देश में चीतों को फिर से बसाने का महत्व केकांक्षी ”प्रोजेक्ट चीता” को झटका लगता है। केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”चौथी चीता शावक की स्थिति स्थिर है। लेकिन किसी भी जानवर के जीने के बारे में बताना बहुत मुश्किल है। हम उसे बचाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।”
वन विभाग के एक अन्य अधिकारी ने 23 मई को इन तीन शावकों की मौत के लिए भीषण गर्मी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि 23 मई को जब इन तीन शावकों की मौत हुई, तो वहां का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक था, जो उनके योग्य नहीं था। उन्होंने बताया कि नामीबिया में चीता बरसात के मौसम की शुरुआत में अपनी पवित्रता को जन्म देते हैं, जिसके बाद वहां सर्दियां होती हैं, जबकि ज्वाला ने गर्मियों की शुरुआत में केएनपी में चार शावकों को जन्म दिया, जो तापमान के बंधन से शावकों के लिए बंधन समय था। उन्होंने कहा कि हालांकि, अभी पिछली रात बारिश के कारण केएनपी में मौसम सुहाना है।
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केएनपी में 23 मई को एक शावक की मौत की सूचना मिली थी। दो शावकों की मौत भी उसी दिन दोपहर हो गई थी, लेकिन उनकी मौत की सूचना दो दिन बाद 25 मई को दी गई। बृहस्पतिवार को जारी एक आधिकारिक प्रमाण के अनुसार, 23 मई को एक चीता शावक की मौत के बाद निगरानी टीम ने मां चीता ज्वाला और उसके बाकी तीन शावकों की गतिविधियों पर नजर रखी। विक्रम में बताया गया है कि निगरानी दल ने 23 मई को पाया कि तीनों शावकों की हालत ठीक नहीं है और उनका उपचार करने का फैसला लिया गया। उस समय दिन का तापमान 46 से 47 डिग्री सेलियन के आसपास था।
वृहत के अनुसार शावक गंभीर रूप से निर्जलित पाए गए और उपचार के बावजूद शावकों को नहीं बचा जा सका। चौथा शावक की हालत स्थिर है और उसका गहन उपचार चल रहा है। नामीबियाई चीतों में से एक साशा की 27 मार्च को रीलिन की बीमारी के कारण मौत बढ़ती जा रही थी, जबकि दक्षिण अफ्रीका से चीते की वजह से 13 अप्रैल को मौत हो रही थी।
वहीं, दक्षिण अफ्रीका से आई मां चीता दक्षा ने इस साल नौ मई को दम तोड़ दिया था। वर्ष 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में आखिरी चीते के शिकार के बाद ज्वाला के चार शावक भारत की धरती पर पैदा होने वाले पहले शावक थे। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से परे तीन चीता शावकों में से 20 वयस्क चीतों में से तीन केएनपी में मर चुके हैं। इन चीतों को पिछले साल सितंबर और इस साल फरवरी में साझेदारी: नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से केएनपी में लाया गया था।
इस वाइल्डलाइफ को 1952 में पृथ्वी पर सबसे अधिक स्पष्टता की विशेषताओं के साथ देश में विलुप्त कर दिया गया था। 17 सितंबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से एक कार्यक्रम आयोजित करते हुए मामा पांच और तीन नर चीतों को केएनपी में बाड़ों में छोड़ दिया। अन्य 12 चीतों को फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था और अलग-अलग बाड़ों में रखा गया था। (एजेंसी)