jane kyon nahi aati hai menopause phase me neend.- क्यों नहीं आती है मेनोपॉज़ फेज में नींद।


मेनोपॉज़ फेज के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें से एक है नींद नहीं आना। सोते समय नींद में बाधा उत्पन्न होना। इसकी वजह क्या हो सकती है और क्या इस समस्या को दूर किया जा सकता है?

महिलाओं की रिप्रोडक्टिव हेल्थ में कई तरह के बदलाव आते हैं। पीरियड, प्रेगनेंसी के अलावा मेनोपॉज फेज भी आता है। मेनोफेज का प्रभाव महिला के मेन्टल और फिजिकल हेल्थ पर भी पड़ता है। हॉट फ्लेशेज (Hot Flashes) और तनाव के अलावा कुछ महिलाओं को नींद भी नहीं आती है। नींद नहीं आने के कारण उसकी दिनचर्या प्रभावित (Menopause and sleep) हो जाती है। जानते हैं क्या है इसकी वजह?

क्यों नहीं आती है मेनोपॉज़ में नींद (what is the reason of bad sleep in menopause)

ब्लूम क्लिनिक फॉर वीमेन में सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स, गायनी एंड आईवीएफ डॉ. श्वेता गुप्ता बताती हैं, ‘स्वस्थ रहने के लिए साउंड स्लीप बहुत जरूरी है। कई महिलाओं को पेरीमेनोपॉज़ के दौरान नींद की समस्या का अनुभव होता है। मेनोपॉज से पहले की अवधि के दौरान हार्मोन लेवल और माहवारी अनियमित होने लगती है। हॉर्मोन लेवल में चेंज महिला की नींद को सबसे अधिक प्रभावित (Menopause and sleep) करता है।’

क्या है अच्छी नींद (What is good sleep)

महिलाओं को प्रति रात सात से आठ घंटे की गुणवत्तापूर्ण और साउंड स्लीप जरूरी है। यह सच है कि कुछ लोगों को कम नींद की आवश्यकता होती है और कुछ को अधिक। सामान्य तौर पर, यदि आप रात में नियमित रूप से जाग रही हैं और महसूस कर रही हैं कि आपकी नींद आरामदायक नहीं है, तो इसका मतलब है कि आपको अच्छी नींद नहीं मिल रही है।

हॉट फ्लेशेज हो सकते हैं कारण (Hot Flashes cause bad sleep)

मेनोफेज के दौरान अक्सर हॉट फ्लेशेज होते हैं। बहुत अधिक गर्मी लगने की अनुभूति दिन या रात में भी हो सकती हैं। रात के समय यदि हॉट फ्लेशेज का सामना करना पड़ता है, तो इसके कारण नींद अनियमित हो सकती है। स्टडी बताती है कि कई मेनोपॉज़ फेज से गुजर रहीं महिलाएं हॉट फ्लैश आने से ठीक पहले जाग जाती हैं। मस्तिष्क में ऐसे परिवर्तन होते हैं, जो इसका कारण बनते हैं। जिन महिलाओं को हॉट फ्लेशेज की समस्या नहीं भी होती है, उन्हें भी बढ़िया नींद नहीं आने की समस्या हो सकती है।

रात के समय यदि हॉट फ्लेशेज का सामना करना पड़ता है, तो इसके कारण नींद अनियमित हो सकती है। चित्र : शटरस्टॉक

स्लीप एपनिया भी हो सकता है (Menopause may cause sleep Apnea)

डॉ. श्वेता गुप्ता बताती हैं, ‘जीवन के इस चरण में महिलाओं में स्लीप एपनिया जैसे नींद संबंधी विकार भी विकसित हो सकते हैं। यह एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन जैसे सेक्सुअल हार्मोन के नुकसान से हो सकते हैं। इनका निदान नहीं किया जा सकता है, क्योंकि महिलाएं अक्सर नींद संबंधी विकारों के लक्षणों और प्रभावों का कारण मेनोफेज (Menopause and sleep) ही मानती हैं।’

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रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में रजोनिवृत्ति से पहले की महिलाओं की तुलना में स्लीप एपनिया होने की संभावना दो से तीन गुना अधिक होती है। दरअसल, रजोनिवृत्ति के साथ हार्मोन का सुरक्षात्मक प्रभाव ख़त्म हो जाता है। खराब नींद के लिए अवसाद और एंग्जायटी भी जोखिम कारक हो सकते हैं।

मेनोपॉज के दौरान नींद को बेहतर कैसे बनाएं (How to get sound sleep in menopause)

डॉ. श्वेता गुप्ता के अनुसार, बेहतर नींद पाने के लिए कुछ कदम उठाये जा सकते हैं। नियमित व्यायाम से सोने में मदद मिल सकती है। कुछ सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर को नींद के लक्षणों में मदद करने के लिए दिखाया गया है। हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी नींद की गुणवत्ता में सुधार (Menopause and sleep) कर सकती है। लेकिन हार्मोन थेरेपी के साइड इफेक्ट भी अधिक हैं।

menopause ke dauran bhi neend ko behtar banaya ja sakta hai.
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

जीवनशैली में बदलाव करना भी महत्वपूर्ण है, जो नींद को बढ़ाता है। सोने से एक घंटा पहले आराम करना, हर रात एक ही समय पर बिस्तर पर जाना और सोने से पहले टेलीविजन न देखना या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग न करना भी नींद लाने में मददगार (Menopause and sleep) हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें :- मेनोपॉज में एक्टिव रहने वाली महिलाओं में कम होता है स्तन कैंसर का जोखिम, एक्सपर्ट बता रही हैं जोखिम कारक और बचाव के उपाय



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