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शरीर के किसी भी हिस्से को कैंसर हो सकता है। ब्रेस्ट या गले के कैंसर पर तो अकसर लोग बात कर लेते हैं, पर एक खास दुर्घटना के कैंसर पर अब भी लोग बात करने से कतराते हैं। इतना ज्यादा कि इसके लिए विशेषज्ञ का पता लगाना भी एक टास्क बन जाता है। पुरुषों में होने वाले इस खास कैंसर को पेनाइल कैंसर कहा जाता है। जो पीनस को प्रभावित करता है। इग्नोर करने पर यह घातक भी हो सकता है। विश्व कैंसर दिवस के लक्ष्य में आइए जानते हैं पुरुषों में होने वाले इस विशेष दुर्घटना के कैंसर के बारे में विस्तार से।
पेनाइल कैंसर क्या है
पेनाइल कैंसर लड़ो के पीनस यानी लिंग में या उसका ऊपर शुरू होता है। कैंसर तब शुरू होता है जब शिष्टाचार नियंत्रण से बाहर होने की संभावनाएं होती हैं। शरीर के लगभग किसी भी हिस्से के कैंसर बन सकते हैं। ढलाई करने पर ये शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकते हैं।
पीनस शरीर में यूरिन एंड क्रिएशन सिस्टम का हिस्सा है। इसमें यूरेथ्रा (मूत्रमार्ग) नामक एक नलिका होती है, जिसे ब्लेडर से शरीर के बाहर ले जाया जाता है और अंडकोष से वीर्य (शुक्राणु) को ले जाया जाता है।
पेनाइल कैंसर को समझने के लिए पीनस के अलग-अलग हिस्सों को भरना बहुत जरूरी है। जिसमें पीनस का ऊपरी शरीर या चाप, फोरस्किन, यह एक त्वचा होती है, जिसे ऊपर नीचे किया जा सकता है (यह पीनस के टिप को ऊपर से ढकती है) फ्रेनुलम, (पीनस के नीचे, फोरस्किन और झुकने के बीच त्वचा का एक छोटा छोटा हिस्सा) सा टैग होता है) शामिल हैं। कुछ पुरुषों की फोरस्किन को हटाने के लिए एक ऑपरेशन होता है जिसे सर्कम्सिन कहा जाता है।
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पेनाइल कैंसर के आंकड़े क्या हैं
त्वचा, मांसपेशियों और नसों सहित विभिन्न प्रकार के ऊतक लिंग का निर्माण करते हैं। इसमें भरपूर रक्त की आपूर्ति होती है। यौन उत्तेजना होने पर लिंग में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। कैंसर अनुसंधान यूके के अनुसार पेनाइल कैंसर से पीडि़त अधिकांश पुरुष 50 वर्ष से अधिक आयु के होते हैं। हर साल औसतन 100 में से 3 (3%) नए मामले 40 साल से कम उम्र के पुरुषों में होते हैं।
भारतीय कैंसर सर्जरी साइट के अनुसार भारत के शहरी क्षेत्रों में पेनाइल कैंसर के प्रति 100,000 पुरुषों पर 0.7-2.3 मामले हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में पेनाइल कैंसर की दर प्रति 100,000 पुरुषों पर 3 मामले हैं।
5 तरह के हो सकते हैं पेनाइल कैंसर
किसी व्यक्ति को किस प्रकार का पेनाइल कैंसर होता है, यह उस कोशिका के प्रकार पर स्थायी होता है जिसमें कैंसर शुरू हुआ था।
1 स्क्वैमस सेल कैंसर (स्क्वैमस सेल कैंसर)
कैंसर अनुसंधान यूके के अनुसार 100 में से 95 से अधिक पेनाइल कैंसर (95% से अधिक) स्क्वैमस सेल कैंसर हैं। ये कैंसर स्क्वैमस सेल से विकसित होते हैं, यह चपटी, त्वचा जैसे होते हैं जो पीमस की सतह को कवर करते हैं। यह कैंसर कहीं भी विकसित हो सकता है। लेकिन सबसे ज्यादा मामलों में ये पीनस के शीर्ष और जिन पुरुषों ने सर्कमिशन का विवरण नहीं दिया है, उनकी फोरस्किन पर भी ये कैंसर हो सकता है।
अगर स्क्वैमस सेल कैंसर का पता जल्दी चल रहा है तो आमतौर पर इसका इलाज किया जा सकता है।
वेरूकस कार्सिनोमा एक दुर्लभ प्रकार का स्क्वैमस सेल पेनाइल कैंसर है। यह एक बड़े मस्से की तरह दिखता है और धीरे-धीरे बढ़ता हुआ ट्यूमर होता है जो शायद ही कभी शरीर के अन्य लोगों में जकड़ा हुआ होता है। वैरूकस कार्सिनोमा आमतौर पर सर्जरी से ठीक हो जाती है।
2 सार्कोमा (सारकोमा)
सार्कोमा कैंसर हैं जो शरीर के संयोजी ऊतक (संयोजी ऊतक) में विकसित होते हैं, ये मानक शरीर की संरचना बनाते हैं, जैसे हड्डी, मांसपेशी, वसा। पीनस के सारकोमा बहुत कम देखने को मिलते हैं लेकिन ये सभी प्रकार के पेनाइल कैंसर की तुलना में अधिक तेजी से आगे बढ़ते हैं।
3 बेसल सेल कैंसर (बेसल सेल कैंसर)
त्वचा की सबसे गहरी परत में पाए जाने वाले बेलस सेल में यह कैंसर होता है। ये कैंसर ज्यादातर सूर्य के संपर्क में आने वाले विश्व में होते हैं, लेकिन यह अन्य दुनिया में भी विकसित हो सकते हैं जो सूर्य से सीधे सीधे तौर पर नहीं आते हैं। इस प्रकार का कैंसर बहुत धीमी गति से आगे बढ़ता है और बहुत कम ही शरीर के अन्य अंगों में फैलता है।
4 मेलानोमा (मेलेनोमा)
स्किन की उन एकता में विकसित होने वाले कैंसर को मेलानोमा कहा जाता है जो स्किन को स्किन का रंग देता है।
5 एडेनोकार्सिनोमा
एडेनोकार्सिनोमा कैंसर उन चयापचय कोशिकाओं में विकसित होते हैं जो पीनस की त्वचा में प्यास पैदा करते हैं। ये बहुत ही कम पाए जाने वाले कैंसर में है।
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पेनाइल कैंसर के कारण क्या हैं
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी)
एचपीवी त्वचा से त्वचा संपर्क से संबद्ध है। आमतौर पर ओरल सेक्स या अन्य सेक्स गतिविधियों के दौरान भी यह वायरस फैल सकता है।
यूके के अनुसार कैंसर अनुसंधान में लगभग 10 में से 8 लोग (80%) अपने निशान में कभी न कभी एचपीवी वायरस से जुड़ते हैं। अधिकांश लोगों को वायरस से कोई हानि नहीं होती है और उपचार के बिना ही ठीक हो जाता है। लेकिन एचपीवी से पीड़ित लोगों में पेनाइल कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।
बढ़ती उम्र
पेनाइल कैंसर 50 या उससे अधिक उम्र के पुरुषों में सामान्य रूप से होता है। अगर 40 से कम उम्र के पुरुषों में ये कैंसर होता है, तो इसे अप्रिय माना जाता है।
धूम्रपान भी एक कारण है
शरीर के अन्य हिस्सों में होने वाले कैंसर की तरह ही पेनाइल कैंसर के लिए भी धूम्रपान एक जोखिम कारक है। इसलिए इसे ज्यादा से ज्यादा बचाएं।
कमजोर प्रतिरक्षा
मुक्त प्रणाली शरीर में किसी भी तरह के संक्रमण और कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। अगर आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है तो पेनाइल कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है। एचआईवी या एड्स जैसी बीमारी भी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकती है।
फोरस्किन को हटाना
सर्कमिशन या खताना फोरस्किन को हटाने के लिए एक छोटा सा ऑपरेशन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिन पुरुषों का सर्कुलेशन नहीं होता है, वे कभी-कभी डैरों के पीछे अपनी फोरस्किन को कमजोर कर सकते हैं। इसे फिमोसिस कहते हैं। फिमोसिस वाले पुरुषों में अन्य पुरुषों की तुलना में पेनाइल कैंसर का खतरा अधिक होता है। हालांकि अभी इसके बारे में धारणा इतनी मजबूत नहीं हैं।
इन लक्षणों से पहचान सकते हैं पेनाइल कैंसर का स्पर्श
पीनस का बढ़ा हुआ होना या दर्द होना
कुछ बदबूदार का विवरण होना
पीनस में खून आना
जेनाइटल पर दाने या रैश होना
फोरस्किन के पीछे डांस होना
क्या इसका उपचार संभव है?
शल्य चिकित्सा
नेशनल कैंसर सर्जरी के अनुसार पेनाइल कैंसर को खत्म करने का एक आम इलाज है। जिसमें डॉक्टर सर्जरी के माध्यम से कैंसर को हटा सकते हैं। ये सर्जरी आपके कैंसर की स्टेज के मुताबिक कई तरह की हो सकती है।
रेडिएशन थेरेपी
रेडिएशन थेरेपी पेनाइल कैंसर के उपचार के लिए उपयोग की जाती है। इस उपचार में हाई एक्स रेस (एक्स-रे) और अन्य प्रकार के रेडिएशन का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को मारने और उसे बढ़ने से रोकने के लिए किया जाता है।
अनुलेख
अनुबन्ध द्वारा कैंसर उपचार के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। बंध में दवाओं के माध्यम से कैंसर संघटना टूट या विभाजित हो जाता है जिससे उनका विकास रुक जाता है।
औषधि चिकित्सा
नैनोथेरेपी के द्वारा कैंसर का उपचार रोगी के सक्रियण प्रणाली द्वारा ही कैंसर से लड़ा जाता है। शरीर द्वारा बनाए गए या अनुबंध में बनाए गए पदार्थों के उपयोग से कैंसर के प्रति शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा को क्रमित किया जाता है।
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