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छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। एक ओर सीएम भूपेश बघेल जहां ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं तो दूसरी ओर भाजपा भी राज्य सरकार पर हमले का कोई मौका नहीं चूक रही है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने संगठन के भीतर ढीले पड़े पेच कसने शुरू कर दिए हैं। इन्हीं कवायदों के मद्देनजर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel) ने निष्क्रिय पार्टी नेताओं की बाबत सख्त फैसले लेने के संकेत दिए हैं। इन संकेतों से ऐसा लग रहा है कि प्रदेश कांग्रेस BJP के गुजरात फॉर्मूले को अपनाने से परहेज नहीं करेगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को कहा कि सूबे में पांच उपचुनाव हुए जिसमें पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा। सूबे में पार्टी के प्रदर्शन को परखने के लिए ये उप-चुनाव और नगरीय निकाय के चुनाव ही लिटमस टेस्ट होते हैं। चूंकि ये उपचुनाव हमने जीते हैं इसलिए पार्टी के प्रदर्शन को ठीक कहा जाएगा। जहां तक उम्मीदवारों के चयन का सवाल है तो मौजूदा वक्त में विधायकों और नेताओं से भेंट मुलाकात का कार्यक्रम चल रहा है।
बघेल ने कहा कि हम पार्टी विधायकों को लगातार यह भी बता रहे हैं कि उन्हें कौन से काम अभी करने हैं। ऐसे में जब स्थिति में सुधार नजर आएगा तो किसी का टिकट क्यों काटा जाएगा। लेकिन नहीं सुधरी तो पार्टी कड़े फैसले लेने से भी नहीं हिचकेगी। जो भी विधायक अच्छा काम करेंगे उनका टिकट नहीं कटेगा। जिन विधायकों की स्थिति नहीं सुधरेगी उन पर पार्टी आगे निर्णय लेगी। जाहिर है बघेल से साफ कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी विधायकों को उनके प्रदर्शन के आधार पर ही टिकट देगी। खराब प्रदर्शन करने वालों को चुनावों में मौका नहीं दिया जाएगा।
हाल ही में कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी सूबे में इसी तरह की सख्ती किए जाने की बात कही थी। रंधाव ने मंत्रियों, पार्टी नेताओं और विधायकों को सख्त संदेश देते हुए कहा था कि खराब प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों और विधायकों को 2023 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा। उनका कहना था कि चूंकि यह आखिरी साल है इसलिए नेताओं का प्रदर्शन देखा जाएगा। पार्टी नेताओं विधायकों और मंत्रियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर ही टिकट दिए जाएंगे। जाहिर है कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के लिए किसी भी फॉर्मूले को आजमाने से परहेज नहीं करेगी। सनद रहे भाजपा ने गुजरात में खराब प्रदर्शन करने वाले नेताओं का टिकट काट दिया था। भाजपा के इस फॉर्मूले की खूब चर्चा भी हुई थी।
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