बोर। मध्य प्रदेश (मध्य प्रदेश) के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (कुनो राष्ट्रीय उद्यान) में 12 चीतों का दूसरा जत्था दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी को शनिवार को पहुंचेगा। भारत में चीतों को बसाने की योजना के तहत इससे पहले फरवरी में नामीबिया से आठ चीते केएनपी में देखे गए थे। परियोजना से जुड़े एक विशेषज्ञ ने ‘पीटीआई-भाषा’ को रविवार को बताया कि सात नर और पांच मां चीते भारतीय कनेक्टिविटी के परिवहन विमान से दक्षिण अफ्रीका से हजारों मील दूर भारत में अपने नए घर के लिए शुक्रवार शाम को यात्रा करेंगे।
उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीकी चीते सबसे पहले शनिवार सुबह मध्य प्रदेश में लंबी वायु सेना के लिए रवाना होंगे और 30 मिनट बाद उन्हें भारतीय कनेक्टिविटी के हेलीकॉप्टरों द्वारा लगभग 165 किमी दूर श्योपुर जिले के एनपी बनाएंगे। विशेषज्ञ ने कहा कि दोपहर 12 बजे केएनपी पर उतरने के बाद उन्हें आधे घंटे के बाद क्वारंटीन (बाड़ों) में रखा जाएगा। केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की चीतों के लिए 10 बांड बनाए हैं।
इनमें से दो बंधनों में दो जोड़ी चीता भाइयों को रखा जाएगा। उन्होंने कहा, “शनि शनिवार को चीतों को प्राप्त करने के लिए अपनी तैयारी पूरी कर ली है।” जनमतकर्ताओं ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के एक प्रतिनिधि ने पिछले साल सितंबर की शुरुआत में केएनपी का दौरा किया था ताकि जमीन पर दुनिया के सबसे प्रत्यक्ष रहने वाले जानवरों के आवास के लिए वन्यजीव अभयारण्य की व्यवस्था की जा सके। इन चीतों के स्थानांतरण के लिए पिछले महीने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक करार हुआ था। दक्षिण अफ्रीका ने भारत को ये चीते दान कर दिए हैं।
भारत को प्रत्येक चीता को स्थानांतरित करने से पहले वहां पहुंचने के लिए 3000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना पड़ता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपने 72वें जन्म दिवस पर नामीबिया से केएनपी में आठ चीतों को छोड़ा था। लेकिन उस समय दक्षिण अफ्रीकी सरकार द्वारा पुष्टि की कमी में इन 12 चीतों केएनपी नहीं लाया जा सका।
भारतीय वन्यजीव क़ानूनों के अनुसार, पशुओं को आयात करने से पहले एक महीने का संगरोध अनिवार्य है और देश में आने के बाद उन्हें अगले 30 दिनों के लिए अलग-थलग कर दिया जाना चाहिए। पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के तहत 2009 में भारत में चीतों को फिर से पेश करने के उद्देश्य से ‘प्रोजेक्ट चीता’ की शुरुआत की थी।
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