रायपुर. प्रदेश के किसान परंपरागत डिजिटल की खेती से अब व्यवसाय और औषधीय खेती की खेती में भारी मुनाफा कमाया जा सकता है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इन कंपनियों की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से बढ़ रही है, जिससे किसानों को उनका उत्पाद बेहतर कीमत मिल सके। पारंपरिक खेती की तुलना में सस्ता और सस्ता विकल्प भी मौजूद है।
प्रशिक्षण में विस्तृत विस्तृत जानकारी
राजधानी स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान विभाग के मुख्य वैज्ञानिक येमन देवांगन ने बताया कि पारंपरिक खेती के साथ-साथ खेती भी की जा सकती है। इसके लिए प्रदेश के किसान इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर इसकी खेती के बारे में विस्तृत जानकारी ले सकते हैं। छत्तीसगढ़ में बहस कभी समय पर नहीं आती है। समुद्र तट के कई साधन नहीं होते हैं। कई बार किसानों को लगता है कि पारंपरिक खेती से लाभ नहीं मिल रहा है और दूसरी खेती करना चाहते हैं तो वैकल्पिक तौर पर औषधीय खेती की खेती कर सकते हैं।
बढ़ती रही बाज़ार में डिज़ाइन, सही दाम
अगर आपके पास पानी के साधन नहीं हैं तो एलोवेरा की खेती कर सकते हैं। लेमन ग्रास की खेती में पानी की स्थिति थोड़ी कम हो सकती है। कहीं बहुत ज्यादा पानी है वहां ब्राम्ही जैसी मछली की खेती की जा सकती है। ऐसी जमीन जहां कोई खेती नहीं करता वहां किसान गिलोय जैसी खेती कर अपनी उपज बढ़ा सकते हैं। साथ ही इन औषधीय मसालों वाले का उपयोग बिमारी से भी किया जा सकता है। औषधीय औषधीय में कई गुण होते हैं। बाजार में डिक्री के हिसाब से इसकी खेती में भारी बढ़ोतरी हो रही है। पहले इसकी खेती सीमित तरीके से कम मात्रा में होती थी।
कोरोना काल के बाद शानदार है डिजाईनट
कोरोना काल के बाद आयुर्वेदिक की महत्ता हल्दी जा रही है। खेती की ओर किसान धीरे-धीरे आकर्षित हुए हैं। इसके लिए किसानों को पहले अपनी जमीन की मिट्टी का परीक्षण कराना चाहिए फिर से इसकी खेती की पूरी जानकारी और परीक्षण लेना शुरू करना चाहिए। इसके अलावा खेती करने से पहले किसानों को यह भी पता लगाना चाहिए कि क्या खेती उपलब्ध है। किसान औषधालय और औषध विज्ञान की खेती से बहुत अच्छी कमाई प्राप्त हो सकती है।
मछली के साथ भी संभव है खेती
किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ इसकी खेती भी कर सकते हैं। अगर किसान धान की खेती कर रहा है और खेती में कुछ जगह बच गया है तो ब्राम्ही और खेती की फसल लगा सकते हैं। इन मसालों का महत्वपूर्ण औषधीय गुण होता है। स्मरण शक्ति बढ़ाने में ब्राम्ही और बच का उपयोग किया जाता है। खेती करने के लिए धान गेंहू की खेती की तुलना में अधिकतर खाद, औषधि, विभिन्न प्रकार का उपयोग नहीं किया जाता है। आयुर्वेदिक में औषधीय गुण की वजह से किट रोग का प्रकोप कम होता है। केवल जैविक खाद से इसकी खेती की जा सकती है।
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पहले प्रकाशित : 25 नवंबर, 2024, 18:42 IST