भोपाल: 14 नवंबर यानि कि बाल दिवस है। जिसे आज भी अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। वहीं भोपाल की राजधानी में भी एक ऐसा शक्श है, जो पिछले कई महीनों से बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहा है। मैनिट डॉक्यूमेंट्री के पास स्थित बलवीर नगर की बस्ती में रहने वाले नीरू दिवाकर, जो गैर सरकारी संगठन के साथ मिलकर सामूहिक से बच्चों की शिक्षा लेकर काम करने आए हैं। वहीं अब वह पिछले 1.5 साल से अपने गार्डन के बच्चों को बाहरी शिक्षा का पाठ पढ़ा रही हैं।

नीरू ने लोकल 18 से कहा कि मेरा मुख्य उद्देश्य बच्चों को बाहरी शिक्षा उपलब्ध कराना है। मैं पिछले 1.5 सागर सेठों को शहर के अलग-अलग समुद्र तट में लेकर जाता हूं, जहां प्रकृति, विज्ञान और अन्य विषयों के बारे में पता चलता है। हमारे इस ग्रुप में लगभग 40 बच्चे शामिल हैं। बाल दिवस के सिलसिले में नीरू अपनी बस्ती के बच्चों को लेकर क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय में लेकर आए।

इस समूह में लगभग 40 बच्चे शामिल हैं
यहां बच्चों ने प्रकृति से जुड़े विषयों पर गहराई से जाना और पेड़ों के समय से लेकर अब तक के इतिहास को समझाया। नीरू ने बताया कि बच्चों के स्कूल की तरह ही यह भी पढ़ें। लेकिन, हमारे सेंटर में वह कुछ नया सीखने के साथ ही मौज-मस्ती, डांस और ड्रामा जैसी अन्य चीजें भी करते हैं। उनका मानना ​​है कि एक जगह पर बैठकर कोई पाठ नहीं पढ़ा जा सकता है। इसलिए मुझे जब भी मौका मिले. मैं बस्ती के बच्चों को लेकर शहर के अलग-अलग साज़िशों में कुझने ले जाता हूँ। इसका फ़ायदा यह होता है कि उनकी पढ़ाई के साथ-साथ अन्य विषयों में भी शुष्कता होती है।

प्रकृति को संकेत की कोशिश
नीरू का मानना ​​है कि बच्चों का पहला अधिकार जीवन जीने का होता है, तो हम मनुष्य को साहस से कैसे सिखाते हैं। यह बच्चों को बुक करना भी जरूरी है. छोटे जानवर भी अपने आस-पास साफ-सफाई रखते हैं। किसी भी तरह की मिलावट न फैलाएं तो ऐसे में बच्चों को भी सीखना जरूरी है। इसलिए हम उन्हें क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय में लेकर आये।

बच्चों ने नेहरू को याद किया
इस दौरान यहां घूम-घूमकर आए व्यापारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री पं. नेहरू की तस्वीरें भी तैयार कीं। छोटे से लेकर बड़े बच्चों में सीखने की एक अलग ललक देखने को मिली।

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