रायपुर. छत्तीसगढ़ के बाज़ार का इतिहास पुराना है। इन उद्योगों की स्थापना और विकास स्थानीय व्यावसायिक क्लस्टर और राजा-महाराजाओं के समय से हो रहा है। छत्तीसगढ़ में खनिज संपदा की प्रचुरता है, जिसमें सोने और अन्य खनिजों के भंडार भी शामिल हैं। रायपुर का साओबा बाज़ार राज्य के सबसे पुराने और प्रमुख बाज़ारों में से एक है। इस बाजार का इतिहास कई वास्तुशिल्प से स्थापित हुआ है और व्यापारी परिवार अपनी पारंपरिक कला और गहनों के व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं।

समय के साथ बाजार में उछाल आया
बायबा बिजनेस यंग कोचर का कहना है कि रायपुर का मार्केट लगभग 100 साल पुराना हो गया है। 100 वर्ष पहले लगभग 5-6 आदिवासियों का एक समूह यह व्यापार करता था जिसमें बैंकर्स का बोलबाला था। यह हमारे दादाजी के समय का है। उस समय सोनार सॉलिड सोना लेविएन्ट्स की पसंद के अनुसार जेवेअर ऑफर दिए गए थे। जैसे-जैसे समय का परिवर्तन हुआ, देश की आज़ादी के बाद बाज़ार का कारोबार भी बढ़ गया।

हॉलमार्क से विंटेज में बढ़ाया भरोसा
रायपुर शहर के सदर बाजार क्षेत्र में लगभग 50-60 सर्राफा मूर्तियाँ हैं। हलवाई लाइन और सदर बाजार बाजार के प्रमुख गढ़ थे। सरकार द्वारा हॉलमार्क के रूप में सोना की शुरुआत की गई जिससे सोने के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा। 916, 833, 75 ऐसे 22, 20 और 18 कैरेट के रूप में सितारों को सुंदर सुंदर गहने मिल रहे हैं। पहले से बहुत सारे सारे आभूषण अलग-अलग डिजाइन में बने रहते हैं और फिर डिमांड के अनुसार उन्हें सामान उपलब्ध कराया जाता है।

इंटरनेट को अपनी पसंद और बजट के अनुसार बिना वेटिंग के तुरंत ज्वेलरी मिल जाती है। पूरे रायपुर शहर में छोटे-बड़े, शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कुल मिलाकर 750 आचलों के अवशेष संचालित हो रहे हैं। बिका बाजार सोने एवं चांदी में बहुत अच्छा कारोबार हो रहा है। इंटरनेट को पूर्ण संतुष्टि और हॉलमार्क के साथ शुद्ध सोना दे रहा है। इसके अलावा ग्राहक को पूरे बढ़ते दाम में सोना मिल रहा है। सालभर में सोने का दाम 12 फीसदी बढ़ गया है, जिससे कि इंवेस्टमेंट को फायदा ही होता है, नुकसान नहीं।

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