सागर : मध्य प्रदेश में पहली बार सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की मांग कर रही है। इसके लिए सागर जिले में 39 उपार्जन केन्द्र बनाये गये हैं। धनतेरस से पहले 25 अक्टूबर से ये शुरू करने के निर्देश भी दिए गए थे, लेकिन 11 दिन बाद जाने के बाद भी एक भी किसान ने सहयोग समिति में अपना सोयाबीन नहीं खरीदा है। सरकार 4892 रुपए की सप्लाई में सोयाबीन की बिक्री कर रही है, जबकि किसान मंडी में इसे 600 से 800 कम दाम में बेचा जा रहा है। अक्टूबर और नवंबर महीने में सागर कृषि उपजी मंडी में 19 दिन ही की कमाई हुई थी, जिसमें लाख कुंतल सोयाबीन के किसानों को शामिल किया गया था।

इसलिए कम दाम में बेच रहे
न्यूनतम समर्थन मूल्य की मंडी क्यों में कम भाव मिल रहा है, फिर भी किसान मंडी में सोयाबीन बिक रहा है, यह लोगों के मन में बड़ा सवाल है। इसी लेकर लोकल 18 की टीम ने किसानों से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार केसोयाब द्वारा इसमें बहुत देरी की गई है। दूसरी बात जो उपार्जन केंद्र बनाया गया है उसकी किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं है। और भी बहुत सारे पैकेट वाले नियम हैं, जिनके बदले में किसान चिंता होने की बजाय कम दामों में ही अपना अनाज बेच रहे हैं

किसानों का कहना है कि अगर कोई भी किसान संगठन सोयाबीन सहयोगी समिति में लेकर आएगा तो वह रिजेक्ट हो जाएगा। कुछ भी शामिल है कंकर मिट्टी मिल तो रिजेक्ट कर दिया जाएगा, इस स्थिति में किसान क्या चाहेगा। अगर उसका सोयाबीन जैसे पैसा ताइस करके खरीद भी ले लिया तो आने वाले में 15-20 दिन का कम से कम समय लगेगा, तब तक रवि सीजन की फसल में निवेश करने का समय निकल जाएगा।

सच में किसानों की माँ करे सरकार
किसान राकेश कुमार ने बताया कि अभी जो सोयाबीन मक्का बेच रहे हैं, इसी से गेहूं चने का बीज और डी.पी. सरकार वास्तव में मदद करना चाहती है तो सोयाबीन के दाम को अभी और बढ़ाया जाए।
बता दें कि सागर जिले में सोयाबीन के लिए 31000 किसानों ने अपना पंजीकरण कराया। हालांकि 31 दिसंबर तक सरकार को अपना सोयाबीन बेच सकते हैं, लेकिन तब तक अपना सोयाबीन सोयाबीन बेच सकते हैं।

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