भोपाल। मध्य प्रदेश के शहडोल मेडिकल कॉलेज में जुड़वा बच्चों के जन्म से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसके बाद दो दोस्तों की एक जान वाली फिल्म लाइन सच साबित हो गई है। इन जुड़वा बच्चों के पास दोस्त तो दो हैं, पर जान यानि दिल सिर्फ एक ही है। विद्वानों के अनुसार, मेडिकल साइंस में ऐसा सिर्फ लाखों में एक ही मामला सामने आता है। स्थानीय18 इस रिपोर्ट में देखिए पूरा माजरा क्या है?

दो सिर, दो दोस्त, एक दिल
शहडोल के मेडिकल कॉलेज में शनिवार शाम को दो जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ, जिनका पेट खराब हो गया है। इन बच्चों के चार पैर, चार हाथ, दो सिर हैं, जबकि इनके पास का दिल सिर्फ एक ही है, यानि कि दोनों के पास जान एक ही है।

जुड़वाँ बच्चों को देख डॉक्टर, चौंका देने वाला मामला
शहडोल के बिरसा मुंडा मेडिकल कॉलेज में जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ है। इन बच्चों के दो सिर हैं, चार हाथ और चार पैर हैं लेकिन दिल एक ही है। इनमें बच्चों के जन्म के बाद उन्हें गंभीर चिंता का सामना करना पड़ता है। वहीं वकीलों की टीम भी हैरान करने वाली है. विश्वासियों के अनुसार, ऐसे मामले सिर्फ लाखों में ही सामने आते हैं।

ऐसे जुड़वा बच्चे लाखों में सिर्फ एक
ईसाइयों और ईसाइयों के सिद्धांत तो, कैंजोइंड ट्विन्स के बच्चे होते हैं जो जन्म के समय पूर्व विकसित नहीं हुए थे। भ्रूण का पूर्ण विभाजन नहीं होता, जिससे जुड़वा बच्चों के शरीर के कुछ मानक साझा किये जाते हैं। ये जुड़वाँ बच्चे बहुत दुर्लभ होते हैं, और विद्वानों का अनुमान है कि 2 लाख जीवित बच्चों में से केवल 1 में ही जुड़वा बच्चों का जन्म होता है।

जुड़े हुए जुड़वा बच्चों के भी कई प्रकार…
थोरैकोपैगस: इस मामले में ऊपरी छाती से छाती तक बच्चे से जुड़े होते हैं और आम तौर पर एक दिल साझा किया जाता है।

थोरैको-ओम्फालोपेगस: इस मामले में जन्म के समय ऊपरी छाती से लेकर उच्च पेट तक जुड़े होते हैं, क्योंकि हमेशा एक दिल होता है।

ओम्फालोपेगस: इसमें बच्चों के पेट से जुड़े होते हैं, साझा दिल नहीं करते, लेकिन जिगर और पाचन तंत्र साझा कर सकते हैं।

परजीवी जुड़वाँ: इनमें से एक जुड़वाँ छोटा और कम विकसित होता है, जो बड़े जुड़वाँ पर स्थिर रहता है।

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