रामकुमार नायक/रामकुमार: छत्तीसगढ़ के रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में अब प्रमोशन का दौर पूरी तरह से तेज हो गया है। भाजपा से पूर्व सांसद सुनील सोनी और कांग्रेस से युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा मैदान में हैं। दोनों ही अपनी जीत को लेकर दबाव में हैं, लेकिन अंतिम फैसला 13 नवंबर को होने वाली वोट में जनता के हाथों में होगा। रायपुर साउथ के दोनों प्रमुख दावेदार क्षेत्र जोर-शोर से प्रचार अभियान में छोड़े गए हैं। जानें क्षेत्र के लोगों का रुझान Local18 के पब्लिक ओपिनियन में।

चंगोराभाठा में वोट का मठ और बीजेपी का बाजार
लेकिन चंगोराभाठा क्षेत्र के निवासी प्रियंक पेंडेज़ का कहना है कि प्रचार को लेकर उत्साह अभी तक नहीं है, इस क्षेत्र में हमेशा अच्छी रिकॉर्डिंग की जाती है। आमतौर पर यहां 70-75 फीसदी लोग वोट करते हैं. यह विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है, लेकिन कांग्रेस से आकाश शर्मा को टिकट मिलने से इस बार मुकाबला टूटने की संभावना है. इसी क्षेत्र के अंतिम चरण में बाबूराव का मानना ​​है कि चंगोराभाठा में भाजपा का पूरा समर्थन है और कांग्रेस को खास तवज्जो नहीं मिल रही है।

कांग्रेस की युवा शक्ति का प्रभाव
कान्हा साहू, एक अन्य चंगोराभाठा निवासी का कहना है कि इस बार के विधानसभा में कांग्रेस के युवा अध्यक्ष आकाश शर्मा को लेकर लोग सकारात्मक चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ”चुनावी तानाशाह अभी बिल्कुल नहीं बना है, लेकिन लोगों के बीच आकाश शर्मा के नाम की चर्चा है.” वहीं, प्रकाश शर्मा का मानना ​​है कि सुनील सोनी और आकाश शर्मा दोनों ही मजबूत स्थिति में हैं और बीजेपी की सरकार के कारण सुनील सोनी का पलड़ा भारी दिख रहा है।

स्थानीय मान्यता और मोहन अग्रवाल की विरासत
स्थानीय निवासी धनराज शेखावत का मानना ​​है कि यह सीट भाजपा का पुराना गढ़ है और यहां पर बृज मोहन अग्रवाल का गहरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा, यहां बीजेपी का प्रभाव मजबूत है और सरकार बीजेपी की है, इसलिए लोग सुनील सोनी का समर्थन कर सकते हैं। मोहित वर्मा ने भी भाजपा की जीत की ताकत पर जोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में कांग्रेस का प्रभाव कमजोर है और बजरंग मोहन अग्रवाल की कमी जरूर खलेगी, लेकिन भाजपा के लिए गठबंधन मजबूत बना हुआ है।

कांटे की टक्कर और जनसमर्थन की दिशा
रायपुर साउथ के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच टक्कर दिख रही है। आकाश शर्मा का युवा चेहरा कांग्रेस के लिए सहारा बन सकता है, वहीं सुनील सोनी का अनुभव और पार्टी की पुरानी पकड़ भाजपा के लिए शानदार साबित हो सकती है।

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