खंडवा: शारदीय नवरात्रि में काकड़ आरती का महत्व शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है, और इस पावन अवसर पर विशेष काकड़ आरती का आयोजन होता है। इसमें पंच काकड़े को जलाया जाता है, जिसमें काकड़े का उपयोग भी होता है। यह आरती हर दिन नहीं, बल्कि नवरात्रि के नौ दिनों में सिर्फ एक दिन होती है। यह आरती माँ के भक्तों के लिए विशेष रूप से मूल्यवान मानी जाती है। इस आरती के दौरान सामूहिक रूप से काकड़े की बाती जलती है और आरती समाप्त हो जाती है।

निमाड़ की सबसे बड़ी चुनरी: 25 KM पैदल यात्रा मां इच्छादेवी की समर्पित यात्रा होती है भक्त

शारदीय नवरात्रि के अवसर पर काकड़ आरती का विशेष महत्व है, जिसमें पंच कलश और काकड़े का उपयोग किया जाता है। यह आरती हर दिन नहीं होती, बल्कि नवरात्रि के नौ दिनों में केवल एक दिन विशेष रूप से आयोजित की जाती है। इस आरती का उद्देश्य देवी की सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति को जागृत करना है, जिससे भक्तों को सुख, समृद्धि और आशीर्वाद मिल सके। पंडित पीयूष शर्मा के अनुसार, यह आरती अष्टमी, नवमी और सप्तमी को होती है और इसमें विशेष प्रकार की पूजा और साधना की जाती है, जिससे देवी की कृपा प्राप्त होती है।

विशेष काकड़ आरती
देवी की ऊर्जा जागृति करने का साधन पंडित अजितानंद जी गिरी के शिष्य पंडित पीयूष शर्मा ने लोकल 18 को बताया कि काकड़ आरती एक विशेष प्रकार की आरती होती है, जो विशेष आयोजनों में की जाती है। यह देवी की ऊर्जा और सकारात्मक शक्ति को सिद्ध करने के लिए है। पंच मशाल का उपयोग दीपक की तरह होता है, जो विशेष आयोजनों और नवरात्रि के दौरान जलती है, जब साधना का क्रम चलता है।

मशाल आरती: साधना की शुद्धि और पूजा का महत्व
पंडित शर्मा ने बताया कि मशाल आरती के माध्यम से देवी प्रार्थना से सभी को सुख और समृद्धि मिलती है। साधना की शुद्धता और पवित्रता के साथ पूजा की जाती है। हालाँकि धार्मिक ऊर्जा जाग्रति के माध्यम से देवी की आरती का समर्थन नहीं किया जाता है, लेकिन अष्टमी, नवमी और सप्तमी पर देवी की आरती विशेष रूप से की जाती है।

टैग: खंडवा समाचार, स्थानीय18, एमपी न्यूज़, विशेष परियोजना

Source link