मुग़ल. सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की 9 सैद्धांतिक विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। माना जाता है कि नवरात्रि के दिनों में भगवती मां दुर्गा पूरे नौ दिन तक धरती पर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। मज़हबी के पंडित आनंद भारद्वाज ने बताया कि नवरात्रि के चौथे दिन किस देवी की पूजा की जाती है।

माँ कूष्माण्डा के नाम का अर्थ क्या है?
कूष्माण्डा का अर्थ कुम्हड़े से भी है। माँ कूष्माण्डा को कुम्हड़ा अति प्रिय है, इसलिए भी कुम्हड़ा कहा जाता है। हालाँकि बृहद रूप में देखा जाए तो एक कुम्हड़े में कई बीज होते हैं, हर बीज में एक उपाय को जन्म देने की क्षमता होती है। उसके श्रीकृष्ण की शक्ति है. माँ ने इस संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना की है। उनमें भी श्रीकृष्ण की शक्ति है।

माँ कूष्माण्डा का स्वरूप

माँ भगवती के कूष्माण्डा स्वरूप ने अपनी माँ भगवती के ब्रह्माण्ड से ही सृष्टि की रचना की थी, इसलिए देवी कूष्माण्डा को सृष्टि का आदि स्वरूप और आदि शक्ति माना गया है। देवी कूष्माण्डा को समर्पित इस दिन का संबंध हरे रंग से जाना जाता है। माता रानी की आठ भुजाएं हैं, जिनमें सातों में कमंडल, धनुराशि, बाण, कमल का फूल, अमृत का कलश, चक्र और गदा शामिल हैं। माता के हाथ में जप माला है और माँ सिंह के वाहन पर सवार हैं।

मां कुशांदा का भोग

मां कुशानंद की पूजा में पीले रंग का केसर वाला पेठा रखना चाहिए और उसी का भोग लगाना चाहिए। कुछ लोग मां कुशानंद की पूजा में मीठे सफेद पेठे के फल की बलि भी चढ़ाते हैं। इसके साथ ही देवी को मालपुआ और बताना भी चाहिए।

इन मंत्रों का जाप जरूर करें
– सुरसम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।दधाना हस्तपद्मभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
– ऐं ह्रीं देव्यै नम:

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