राजानंदगांव : छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में किसान आधुनिक कृषि की ओर रुख करते हुए ड्रैगन की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें लाखों करोड़ों की कमाई हो रही है। शहर के पार्रीनाला के पास के किसान मंजीत सिंह सलूजा ने लगभग 2 एकड़ जमीन पर ड्रैगन की खेती की शुरुआत की, जो उनकी राय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है।

ड्रैगन की मांग बाजार में काफी अधिक है, कीमत लगभग ₹80 से ₹100 प्रति फल है। मनजीत सिंह कहते हैं कि ड्रैगन तितली का पौधा की कलम से तैयार किया जाता है और यह पौधा लगभग 2 साल में फल देना शुरू कर देता है। उन्होंने यह भी बताया कि इस फल की लकड़ी के निर्माण के साथ ही उनके आय में भी बढ़ोतरी हो रही है।

मनजीत सिंह सलूजा ने अपने 12 ओकरा हाउस में ड्रैगन तितली और अन्य फूलों की खेती की शुरुआत की है। इसके साथ ही, उन्होंने एक खुद की छोटी सी स्ट्रेंथ की दुकान भी बेची, जहां ड्रैगन कलाकृति की बिक्री होती है। अब उन्हें ड्रैगन की खेती से लेकर लाखों रुपये की मांग हो रही है और स्थानीय बाजार में भी इस फल की भारी मांग हो रही है। दूर-दूर से लोग राजनांदगांव ग्यान इस फल को प्राप्त करने के लिए आते हैं, जिससे किसानों की आय में लगातार गिरावट आ रही है।

दैत्य से छत्तीसगढ़ तक स्कोप ड्रैगन की खेती
ड्रैगन मूल रूप से शैतान का फल है, लेकिन अब इसका उत्पादन भारत में भी बड़े पैमाने पर हो रहा है। दक्षिण भारत में इसकी खेती पहले से ही शुरू हो गई थी, और अब राजनांदगांव जैसे तेलंगाना में भी इसकी खेती की जा रही है। मंजीत सिंह का कहना है कि इस फल की खेती के लिए पौधे और आद्राता क्लाइमेट वाली की जरूरत है, जो राजानंदगांव के मौसम से काफी मेल खाता है।

मनजीत सिंह की सफलता अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही है। ड्रैगन की खेती से न केवल उनका दावा हो रहा है, बल्कि अन्य किसानों को भी इस नई तकनीक और कृषि पद्धति को अपनाने का मौका मिल रहा है। इसके साथ ही मनजीत सिंह अन्य प्रकार की खेती और फूलों की खेती भी कर रहे हैं, जिससे उनका कृषि क्षेत्र में योगदान लगातार बढ़ रहा है।

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