राजानंदगांव के पैरिनाला में स्थित सीताराम हनुमान मंदिर में स्थित एक अनोखा बैंक है, जिसकी स्थापना लगभग 30 से 35 वर्ष पहले हुई थी। इस बैंक में भक्त “सीताराम” नाम लिखा हुआ पर्चियां जमा करते हैं। ये पर्चियां बाद में अयोध्या के सरयू नदी में विसर्जित की जाती हैं। इस मंदिर और सिताराम बैंक से भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है।

पर्चियों का जाम कैसा होता है?
यह मंदिर राजनंदगांव शहर के राष्ट्रीय राजमार्ग 53 के नजदीक स्थित है। यहां आते हैं भक्त सिताराम और हनुमान जी की वैष्णवी के दर्शन। मंदिर में “सीताराम” के लिए पर्चियां शामिल हैं, जिसमें भक्त अपने घर या मंदिर में ही व्यापारी भरते हैं। जब पूरी कॉपी या पर्ची भरी हो तो उसे मंदिर के सिताराम बैंक में जमा कर दिया जाता है। इन पर्चियों को एकत्रित कर, अयोध्या ले विक्रेता सरयू नदी में विसर्जित किया जाता है या फिर आटे में गुंडकर व्यापारियों को बेचा जाता है।

बैंक की स्थापना और उद्देश्य
मंदिर के पुजारी कुमार साहू ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि इस अनोखे बैंक की स्थापना 1990 में हुई थी. भक्त अपनी आस्था के साथ यहां सीताराम अपनी शरण में हैं। मंदिर के भक्त दुलारू साहू के अनुसार, भक्तों की लिखी हुई पर्चियां अयोध्या ले विक्रेता विसर्जित की जाती हैं।

10 लाख से ज्यादा पर्चियां जमा
अब तक इस सिताराम बैंक में लगभग 10 लाख पर्चियां और कॉपियां जमा हो चुकी हैं, जिन पर लिखा है “सीताराम”। भक्तों का मानना ​​है कि यहां टेलीग्राम के ग्राहकों से उनकी भावनाएं पूरी होती हैं और उन्हें मानसिक शांति मिलती है। इसी आस्था के कारण इस अनोखे बैंक की स्थापना हुई है, और भक्त आज भी यहां जानें अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

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