बिलासपुरः गुलाब का उपयोग कई सारे कॉस्मेटिक उत्पादों के लिए होता है। इसलिए किसान गुलाब की खेती कर रहे हैं। सबसे बढ़िया का गुलाब जल डेमस्क रोज से बनाया जाता है, जिसकी कीमत हजारों में मिलती है। ऐसे ही जिले के ग्राम पंचायत के किसान आकाश राय ने पारंपरिक खेती से जुड़ी कमियों को देखते हुए अपने कृषि कार्य में बदलाव का निर्णय लिया। उन्होंने गुलाब की खेती शुरू की जो अब उन्हें बेहतर फायदा दे रही है।

आकाश ने अपने दो मकानों में गुलाब की खेती शुरू की, जिसमें दो पॉली हाउस में गुलाब की खेती कर रहे हैं। शुरुआत में उन्होंने गुलाब के फूल की देखभाल पर विशेष ध्यान दिया। जिसका परिणाम अब दिख रहा है। उनकी गुलाब की मांग न केवल स्थानीय बाजार बल्कि पूरे राज्य में हो रही है। गुलाब की खेती ने उनके लिए नए अवशेष बनाए हैं, जिससे वे पारंपरिक खेती की तुलना में ज्यादा कमाए जा रहे हैं। गुलाब के फूलों को सुबह के वक्त मेहमानों के समूह में बांधा जाता है, फिर ऑर्डर के हिसाब से फूल ऑटोमोबाइल को बेच दिया जाता है।

कृषि विश्वविद्यालय से ली प्रशिक्षण
जब वे अपनी खेती के तरीकों में बदलाव करने के बारे में सोच रहे थे, उसी दौरान उनके सामने आने वालों ने उन्ही फ्लोरीकल्चर के बारे में बताया। आकाश को इसकी खेती का आइडिया इतना पसंद आया कि उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से फ्लोरीकल्चर की खेती की ट्रेनिंग ली। इसके बाद उन्होंने अपने खेत की मिट्टी का प्लास्टिक और गुलाब की खेती के लिए अधिकृत महत्वपूर्ण बालवेज़ किया।

कितनी होती है कमाई
आकाश राय का कहना है कि पुराने जमाने की खेती की तुलना में इसमें कहीं ज्यादा कमाई है। गुलाब की फ़सल से वाली कमाई पूरी तरह से बाज़ार पर होना प्रतिबंधित है। उन्होंने बताया है कि शादी-ब्याह के सीज़न में इसके विशेष डिज़ाइन रहते हैं और इस दौरान एक फूल के 10 या उससे अधिक भी मिलते हैं। उसने लिखा है कि यह दाम पूरी तरह से गुलाब की गुणवत्ता पर असंतुलित है। सर्वोत्तम गुणवत्ता होगी अधिक दाम।

राज्य भर में है ये गुलाब के डिजायर्ड
आकाश का कहना है कि उनके गुलाब के पिज्जा, बिलासपुर, रायपुर, कोरबा, अंबिकापुर सहित राज्य भर और अन्य राज्यों में भी हैं। उन्होंने लिखा है कि त्योहारों और फरवरी माह के दौरान गुलाबों की सजावट अधिक रहती है। विवाह के कार्यक्रम में भी इसका विशेष विवरण रहता है।

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