देश में प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रही प्रगति के कारण डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन गतिविधि में उछाल आया है। इसे देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को केंद्रीय और राज्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों, बैंकों और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं सहित सभी हितधारकों के लिए एक साथ आने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें डेटा-संचालित दृष्टिकोण और विकसित जवाबी रणनीतियों के साथ साइबर अपराधों के बढ़ते जोखिम से लड़ना चाहिए। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के पहले स्थापना दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि उभरते साइबर खतरों से निपटने के लिए सभी हितधारकों को एक मंच पर लाने में I4C की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी पहल से इंटरनेट ग्राहकों की संख्या मार्च 2014 में 25 करोड़ से बढ़कर मार्च 2024 में 95 करोड़ हो जाएगी और दुनिया के डिजिटल लेनदेन की मात्रा का 46% भारत में होगा।
गृह मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘साइबर सुरक्षित भारत’ के सपने को साकार करने के उद्देश्य से आई4सी की चार नई साइबर सुरक्षा पहलों का शुभारंभ करते हुए कहा, “आने वाले दिनों में, जब देश महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति करेगा, तो इसकी तकनीक, डेटा और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में आई4सी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी….मेरा मानना है कि साइबर सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू बन गई है।”
शाह ने साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (सीएफएमसी) को राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि सीएफएमसी साइबर धोखाधड़ी के तरीकों की पहचान करने और उनसे निपटने के तरीके खोजने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करे।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि साइबर अपराध की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए मेवात, जामताड़ा, अहमदाबाद, हैदराबाद, चंडीगढ़, विशाखापत्तनम और गुवाहाटी में 7 संयुक्त साइबर समन्वय दल बनाए गए हैं और इनके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि I4C ने साइबर दोस्त के तहत विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल पर प्रभावी जागरूकता अभियान भी चलाया है। शाह ने कहा कि इन सभी प्रयासों से हम एक मुकाम पर जरूर पहुंचे हैं लेकिन हमारे लक्ष्य अभी भी बहुत दूर हैं। उन्होंने कहा कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें एक सटीक रणनीति बनानी होगी और एक ही दिशा में मिलकर आगे बढ़ना होगा।
साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (सीएफएमसी): सीएफएमसी की स्थापना नई दिल्ली में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (14सी) में की गई है, जिसमें प्रमुख बैंकों, वित्तीय मध्यस्थों, भुगतान एग्रीगेटर्स, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, आईटी मध्यस्थों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) के प्रतिनिधि शामिल हैं। वे ऑनलाइन वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई और निर्बाध सहयोग के लिए मिलकर काम करेंगे। सीएफएमसी कानून प्रवर्तन में “सहकारी संघवाद” का एक उदाहरण पेश करेगा।
समन्वय प्लेटफॉर्म (संयुक्त साइबर अपराध जांच सुविधा प्रणाली): यह प्लेटफॉर्म एक वेब-आधारित मॉड्यूल है जो देश भर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए साइबर अपराध के डेटा संग्रह, डेटा साझाकरण, अपराध मानचित्रण, डेटा विश्लेषण, सहयोग और समन्वय मंच के लिए वन स्टॉप पोर्टल के रूप में कार्य करेगा।
‘साइबर कमांडो’ कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के तहत देश में साइबर सुरक्षा परिदृश्य के खतरों का मुकाबला करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय पुलिस संगठनों (सीपीओ) में प्रशिक्षित ‘साइबर कमांडो’ की एक विशेष शाखा स्थापित की जाएगी। प्रशिक्षित साइबर कमांडो डिजिटल स्पेस को सुरक्षित करने में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय एजेंसियों की सहायता करेंगे।
संदिग्ध रजिस्ट्री: इस पहल के एक भाग के रूप में, वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करने के लिए बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों के सहयोग से राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के आधार पर विभिन्न पहचानकर्ताओं की एक संदिग्ध रजिस्ट्री बनाई जा रही है।