केशव कुमार/महासमुंद: महासमुंद के बागबेरा के पास घुचापाली का चंडी माता का मंदिर है जो अपने जादू को लेकिन काफी प्रसिद्ध है। यहां प्रति दिन भालू, माता का प्रसाद ग्रहण करने आते हैं। छत्तीसगढ़ का यह एक ऐसा मंदिर है जहां भालू मंदिर की आरती और प्रसाद हर शाम की आरती में लिया जाता है। जिसमें एक मादा और दो शावक भालू आते हैं। देखने के लिए देखें डायनासोर दूर-दूर से चैंपियनशिप हैं।
हमारे देश में चमत्कारों और आध्यात्म शक्तियों के कारण कई मंदिर प्रसिद्ध हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में चंडी देवी का मंदिर हर रोज होने वाली घटना के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में केवल इंसानों की ही पूजा नहीं होती बल्कि हर रोज भालुओं का भी पूरा परिवार माता के दर्शन के लिए होता है। मंदिर में हर रोज सैकड़ों भक्त अपने माता की माता की भक्ति का दर्शन करते हैं, जब वे माता की भक्ति के दर्शन करते हैं तो उनकी आत्माएं धाम सी हो जाती हैं।
यह चंडी मंदिर छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के घुंचापाली गांव में स्थित है। भालुओं की भक्ति यहां देखें सबसे छोटी दूर-दूर से निकली हैं। पहाड़ी पर स्थित है इस मंदिर का इतिहास रिज़र्व रिकॉर्ड सौ साल पुराना है। यहां चंडी देवी की प्रतिमा प्राकृतिक है। मंदिर में आने वाले राक्षस भाल को देखने के लिए कई बार घंटों इंतजार करना पड़ता है।
शाम के समय भालू आते हैं
बताया जाता है कि माता के मंदिर में शाम ढलते ही इन विशेष भक्तों का आना शुरू हो जाता है। हर शाम आरती के समय भालू का पूरा परिवार माता के दर्शन के लिए पहुंचता है, माता का प्रसाद लेता है और फिर वहां से बिना किसी नुकसान के जंगल में लौट जाता है।
मंदिर में पहले साधु संत थे तंत्र साधना
मान्यता है कि चंडी माता मंदिर 150 साल पुराना है। मंदिर को लेकर यहां तक कि यहां चंडी माता की प्रतिमा प्राकृतिक है। माता के इस मंदिर में सबसे पहले तंत्र साधना के लिए जाना जाता था। यहां अनेक साधु संतों का निवास था। इसे तंत्र साधना के लिए गुप्त रखा गया था लेकिन 1950 के आसपास इस मंदिर को आम नागरिकों के लिए खोला गया था। इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बनी 23 फीट दक्षिण मुखी प्रतिमा है।
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पहले प्रकाशित : 30 अगस्त, 2024, 21:32 IST