रामकुमार नायक/गरियाबंद: भूतेश्वर महादेव का मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच स्थित गांव मरौदा में है। यह मंडप 18 फीट और गोलाई 21 फीट है। पूजाघर और गोलाई धीरे-धीरे-धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। राजस्व विभाग के अनुसार, स्पेक्ट्रम में 6 से 8 इंच की बढ़ोतरी हो रही है। भूतेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध यह शिवलिंग मरौदा में शिखर के बीच स्थित है। यहां भूतेश्वर महादेव को भुरकुरा महादेव भी कहा जाता है।
सावन के पूरे महीने में लोग देवताओं से भगवान शिव की पूजा करते हैं। प्राचीन में 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जहां प्रति भगवान शिव के भक्तों की गहरी आस्था है। छत्तीसगढ़ में एक ऐसा शिवलिंग है, मान्यताप्राप्त ज्योतिर्लिंग की तरह ही है। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में विद्यमान भूतेश्वर महादेव अर्धनारीश्वर प्राकृतिक शिवलिंग है, जो रायपुर राजधानी से 90 किमी. दूर, गरियाबंद जिला मुख्यालय से लगभग 4 किमी. दूर और महासमुंद से 80 किमी. दूर घने जंगल में बसा है.
दूर-दूर से आते हैं असाध्य
सावन के महीने में हर साल यहां भव्य महल का आयोजन किया जाता है, जहां दूर-दूर से महादेव के भक्त उनकी सजावट करते हैं। ऐसी ही एक जगह है यहां सिर्फ छत्तीसगढ़ से नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों से भी हैं भक्त। साथ ही सावन के हर सोमवार को कांवरिये भगवान को जल चढ़ाने के लिए सुबह आते हैं।
भरकुरा महादेव नाम कैसे पोस्ट करें
स्थानीय लोग बताते हैं कि जब भी इस गांव के लोग इस ओर जंगल के करीब से पढ़ते हैं तो उन्हें किसी बैल के हुंकार की आवाज आती थी। लेकिन यहां पर उन्हें खोजने की कोशिश करने पर कोई भी बॉल दिखाई नहीं देती है। भूत ही एक विशाल टीला था. लोगों में यह विश्वास पैदा हुआ कि हो न हो, इस टाइल में भगवान शिव का निवास है और यह बैल सेरीखी आवाज उनकी गाड़ी नंदी की है। धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे की गई मूर्ति ने कहा कि टीले को शिव का स्वरूप अनुसंधान पूजा- साबेशन आरंभ कर दी गई है। बड़ी घंटी की आवाज को स्थानीय भाषा में भुरकुरा या भकुराना कहा जाता है, इसलिए इस लिंग का नाम भुरकुरा महादेव पड़ गया।
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पहले प्रकाशित : 09 जुलाई, 2023, 18:40 IST