डॉक्टरों ने मंगलवार को कहा कि निगरानी बढ़ाना महत्वपूर्ण हो सकता है और इससे चांदीपुरा वायरस का शीघ्र पता लगाने और उपचार में मदद मिल सकती है। इस वायरस से अब तक गुजरात में छह बच्चों की मौत हो चुकी है और करीब 12 लोग इससे प्रभावित हैं।
गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल के अनुसार, पिछले पांच दिनों में इस वायरस के कारण छह बच्चों की मौत होने का संदेह है, जबकि मामलों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है – गुजरात (9), राजस्थान (2) और मध्य प्रदेश (1) से।
पटेल ने बताया कि सभी मरीजों का इलाज गुजरात में हुआ है। उन्होंने बताया कि सभी 12 नमूनों को सत्यापन के लिए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे भेजा गया है।
चांदीपुरा वायरस क्या है?
चांदीपुरा वायरस एक प्रकार का अर्बोवायरस है जो रैबडोविरिडे परिवार के वेसिकुलर वायरस जीनस का सदस्य है। यह मुख्य रूप से फ्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाई और कभी-कभी टिक्स और मच्छरों के माध्यम से फैलता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में इस वायरस से संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है।
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में संक्रामक रोग सलाहकार डॉ. नेहा रस्तोगी पांडा ने आईएएनएस को बताया, “चांदीपुरा वायरस एक उभरता हुआ रोगाणु है, जिसने हाल के वर्षों में काफी ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि यह मनुष्यों, विशेषकर बच्चों में गंभीर और अक्सर घातक बीमारियों का कारण बन सकता है।”
भारत में सर्वप्रथम 1965 में पहचाने गए इस वायरस का नाम महाराष्ट्र के चांदीपुरा गांव के नाम पर रखा गया है, जहां इसे सबसे पहले पृथक किया गया था।
गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल की नियोनेटोलॉजी और बाल चिकित्सा विभाग की कंसल्टेंट डॉ. श्रेया दुबे ने आईएएनएस को बताया, “इसके लक्षणों में अचानक तेज बुखार, दस्त, उल्टी, दौरे, संवेदी तंत्र में बदलाव शामिल हैं, जो लक्षण दिखने के 24 से 72 घंटों के भीतर अंततः मौत का कारण बन सकते हैं।”
इस विषाणु की महामारी विज्ञान पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन इसका प्रकोप मुख्य रूप से भारत में ही पाया गया है, तथा अन्य क्षेत्रों में भी इसके छिटपुट मामले सामने आए हैं।
डॉ. पांडा ने कहा, “तेजी से फैलने वाले संक्रमण और संक्रमण से जुड़ी उच्च मृत्यु दर के कारण यह एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन गया है।”
शीघ्र पता लगाने की कुंजी
वर्तमान में चांदीपुरा वायरस के विरुद्ध कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है।
विशेषज्ञों ने कहा कि यह रोग तेजी से बढ़ रहा है और इसकी मृत्यु दर बहुत अधिक है, इसलिए शीघ्र पहचान और उपचार आवश्यक है।
डॉ. पांडा ने कहा, “चांदीपुरा वायरस संक्रमण की नैदानिक प्रस्तुति गंभीर और अचानक हो सकती है। लक्षण आमतौर पर तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी और मानसिक स्थिति में बदलाव के साथ शुरू होते हैं, जो जल्दी ही दौरे और इंसेफेलाइटिस में बदल जाते हैं।”
डॉ. दुबे ने कहा, “जैसे ही किसी को कोई लक्षण नजर आए, उन्हें यथाशीघ्र आपातकालीन कक्ष में जाना चाहिए या चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।”
सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियाँ
विशेषज्ञों ने कहा कि कीटनाशकों के छिड़काव से इस रोगवाहक को खत्म करने में मदद मिल सकती है, साथ ही उन्होंने सैंडफ्लाई की आबादी को नियंत्रित करके वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रयास करने का भी आह्वान किया।
डॉ. पांडा ने कहा, “सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों में कीट निरोधक, मच्छरदानी और कीटनाशकों का उपयोग, तथा रोग के जोखिम और लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाना शामिल है।”
उन्होंने वायरस के संचरण की गतिशीलता को बेहतर ढंग से समझने के लिए अनुसंधान बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
डॉक्टर ने कहा, “इससे प्रभावी उपचार विकसित करने और टीके बनाने में भी मदद मिलेगी। निगरानी और रिपोर्टिंग बढ़ाने से प्रकोप का शीघ्र पता लगाने और उसे रोकने में मदद मिल सकती है, जिससे अंततः प्रभावित आबादी पर इस घातक वायरस के प्रभाव को कम किया जा सकेगा।”
(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को एनडीटीवी स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से प्रकाशित किया गया है।)