भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने 9 जुलाई को मौखिक उल्लेख के दौरान सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि हाथरस भगदड़ मौत का मामला न्यायिक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “मैंने कल हाथरस मामले को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था।”
हाथरस भगदड़ की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश की देखरेख में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति नियुक्त करने के लिए 3 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई थी, जिसमें 121 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में अदालत से सामूहिक बैठकों और सार्वजनिक समारोहों के लिए सुरक्षा दिशानिर्देश निर्धारित करने का भी अनुरोध किया गया।
यह घटना उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक स्वयंभू बाबा नारायण साकर हरि की प्रार्थना सभा के दौरान हुई थी। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग जुटे थे।
याचिका में कहा गया है, “भगदड़ की इस भयावह घटना से कई सवाल उठते हैं, जिससे राज्य सरकार और नगर निगमों की ड्यूटी और चूक पर सवाल उठते हैं। निगरानी बनाए रखने और प्रशासन करने में विफलता के अलावा, अधिकारी कार्यक्रम के लिए एकत्रित भीड़ को नियंत्रित करने में भी विफल रहे हैं।”
याचिका में अदालत से उत्तर प्रदेश सरकार को स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने तथा सुरक्षा एवं भीड़ नियंत्रण उपायों के संबंध में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
याचिका में कहा गया है, “राज्यों को ऐसे धार्मिक या अन्य आयोजनों में बड़ी संख्या में भाग लेने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए भगदड़ को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए। राज्यों को ऐसी भगदड़ या अन्य घटनाओं से निपटने के लिए विभिन्न स्तरों पर उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए।”
याचिका में अतीत की उन घटनाओं का भी हवाला दिया गया है जिनमें लोगों की जान गई है, जैसे 1954 के कुंभ मेले में भगदड़ जिसमें 800 लोगों की मौत हुई थी, 2007 की मक्का मस्जिद भगदड़ जिसमें 16 लोगों की मौत हुई थी, 2022 में माता वैष्णो देवी मंदिर में हुई मौतें, 2014 में पटना के गांधी मैदान में दशहरा समारोह के दौरान हुई मौतें और इडुक्की के पुलमेडु में लगभग 104 सबरीमाला भक्तों की मौत।
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