सीजी पीएससी घोटाला, आईएएस कहानी: आईएएस और आईपीएस बनना आसान नहीं होता, लेकिन इन पदों पर नियुक्ति के बाद कुछ ऐसे मामले सामने आते हैं, जिससे उनका पूरा कार्यकाल मुश्किल में पड़ जाता है। ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ में सामने आया है, जहां एक जिला आईएएस अधिकारी पर डिप्टी कमिश्नर के तौर पर 45 लाख की रिश्वत लेने का आरोप लगा है। अब इस मामले में साहूकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। आइये जानते हैं इस अधिकारी के बारे में और वे खुद कैसे बने थे आईएएस?

तमन सिंह सोनवानी कौन हैं?
यह मामला छत्तीसगढ़ के पूर्व आईएएस तमन सिंह सोनवानी का है। वे छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग (सीजीपीएससी) के लाठी रह चुके हैं। आरोप है कि उन्होंने राजपूत की एक प्राइवेट कंपनी के मालिक के बेटे और बहू को डिप्टी मेयर बनाकर 45 लाख रुपये की रिश्वत ली थी। कंपनी के मालिक श्रवण कुमार गोयल ने यह राशि दो किश्तों में पोस्ट की थी। इस मामले में अर्थशास्त्री ने दोनों को गिरफ्तार किया है।

1991 में पीसीएस परीक्षा पास की
तमन सिंह सोनवानी ने 1991 में राज्य सरकार सेवा (पीसीएस) परीक्षा पास की और इसके बाद आईएएस में प्रमोशन 2004 बैच के आईएएस अधिकारी बने। उन्होंने नौकरी से सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली और 2 जून 2020 को सीजीपीएससी के रिटायरमेंट बन गए। वे 8 सितंबर 2023 तक इस पद पर रहे।

भर्ती में गड़बड़ी के आरोप
सोनवानी पर सीजीपीएससी की भर्तियों पर गड़बड़ी का आरोप है। बालोद जिले के एक शेयरधारकों ने याचिका दायर की थी कि 2021 की राज्य सेवा परीक्षा में, प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास करने के बावजूद, अच्छे साक्षात्कार के बाद भी उनका चयन नहीं हुआ। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि सोनवानी के बेटे, भाई के बेटे और अन्य रिश्तेदारों का अलग-अलग चयन किया गया।

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स्नानघर में स्नानघर
गंभीर दावों के बाद, छत्तीसगढ़ सरकार ने सीजीपीएससी में भर्ती दस्तावेजों की संक्षिप्त जांच की। जांच के बाद, रिसर्चर ने पूर्वाश्रम सहित कई अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है। डॉक्यूमेंट्री जांच में खुलासा हुआ है कि पीसीएस भर्ती परीक्षा में कई अयोग्य अभ्यर्थियों का चयन किया गया है।

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