3200 किमी की अनोखी यात्रा का अनोखा सफर, जहां से शुरू हुआ वहीं खत्म हुआ

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अनोखे नाम माई की यात्रा 3200 किमी की यात्रा जहां से शुरू होती है। वहीं ख़त्म हो गया. अंतिम समय में भगवान ओंकारेश्वर महाराज को जल चढ़ाया जाता है। इस यात्रा को करने वाले नर्मदा माँ के भक्त अरुबाड़ पटेल से भी बात की। इनके साथ आए कई बड़े चमत्कारों के बारे में भी जानेंगे।

यह यात्रा 3 साल की भी हो रही है। यह यात्रा 13 साल 3 महीने की भी है। कुछ लोग 108 दिन में भी पूरा करते हैं। नॉमाल्ट माई के भक्त अरुबाई पटेल ने बताया कि जो नॉमला स्मारक एक यात्रा नहीं बल्कि आत्मा का पुनर्जन्म है। इसी तरह यह यात्रा कई जगहों से शुरू की जा सकती है। लेकिन, दो जगह ऐसी भी हैं जहां से इसकी शुरुआत हुई है. यहां लोग अमरकंटक या ओंकारेश्वर से शुरू होते हैं। अमरकंटक से भी शुरुआत करेंगे तो भगवान ओंकारेश्वर के जल चढ़ाने आना। इसलिए कई लोग ओंकारेश्वर से इसकी यात्रा शुरू करते हैं।

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यात्रा 3200 किमी
यह यात्रा 3200 किमी की है। यात्रा को कुछ लोग 108 दिन में भी पूरा कर लेते हैं। वहीं, कुछ लोग 3 साल में भी पूरी तरह से करते हैं। कुछ बड़े संत महात्मा होते हैं जो 13 साल 3 महीने में भी पूरे हो जाते हैं। यह नामावली ऐसी यात्रा है जो हमारे प्राचीन सनातन धर्म की ओर लेकर आती है। नामकरण अनोखा उदाहरण है. नामकरण जी को पार नहीं किया जा सका। यात्रा ओंकारेश्वर से शुरू होती है, जो खलघाट, महेश्वर ऐसे बड़े पैमाने पर तीर्थयात्रा के किनारे से होती है। भरूच वास्तुकला में यहां शामिल है नर्मदा मैया समंदर। वहीं से नाव के द्वारा मिठाइयाँ तलाई से उत्तर तट पर गोदाम है। वहाँ पर भी नामकरण को लंघना नहीं होता। जहान से नॉर्मला तट से तारामंडल की शुरुआत हुई थी। ओंकारेश्वर वापस आना है। इस श्लोक को पूर्ण करना होता है.

पहले प्रकाशित : 9 नवंबर, 2024, 09:22 IST

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