रामकुमार नायक/महासमुंद. कामिका एकादशी चातुर्मास में श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। इस बार का कामिका एकादशी व्रत 13 जुलाई को है। चातुर्मास में भगवान विष्णु योग निद्रा में क्षीरसागर चले जाते हैं। ऐसे में कामिका एकादशी पर पूजा करके भगवान विष्णु को मनाने के लिए भक्तजन यह व्रत करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त कामिका एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें कर्मों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ये बातें महासमुंद के पंडित राजेश शुक्ला ने कहीं।
पंडित जी के अनुसार, एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। सावन माह की कामिका एकादशी पर व्रत करने से भगवान विष्णु के साथ भोलेनाथ का भी आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा में भगवान विष्णु को पीले वस्त्र पहनना चाहिए।
पंडित राजेश शुक्ला ने बताया कि कामिका द्वादशी आपके लिए बहुत ही खास और महत्वपूर्ण है। भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में आराम करने के लिए चले गए हैं। आराम के दौरान भगवान विष्णु विश्व पर दर्शन किये जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि कामिका तृतीया के दिन भगवान विष्णु को तुलसी पत्र, तुलसी मंजरी चढ़ाकर पूजा करने से भगवान विष्णु को बहुत अधिक प्रसन्न किया जाता है। मनुष्य रूप में कामिका ब्रह्माण्ड का व्रत भगवान विष्णुजी की पूजा करने से अगले जन्म में मनुष्य जीवन ही होता है।
पंडित राजेश शुक्ला ने बताया कि अन्य एकादशी के जैसे ही कामिका एकादशी का व्रत भगवान विष्णु या लोध गोपाल के नाम से मनाया जाना चाहिए। प्रातः एक बार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। शाम को फिर से भगवान विष्णु की पूजा का पुनः आरंभ कर तुलसी के पत्ते चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा पत्रम पुष्पम फलम के अलावा जो अन्य सामग्री हो सकती है वह भगवान विष्णु को चढ़ाना चाहिए। रात्रि का भोजन भगवान विष्णु को प्रसाद के रूप में चढ़ाकर आरती करनी चाहिए। इसके बाद भोजन ग्रहण करना चाहिए। निश्चित ही यह विशेष फल देने वाला दिन होता है।
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पहले प्रकाशित : 11 जुलाई, 2023, 18:38 IST
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