रामकुमार नायक/रायपुरः कबीर दास जी एक ऐसे संत थे, जिन्हें हिंदू और मुस्लिम समुदाय दोनों ही बेहद मानते थे. उनकी बताई राहों में आज भी कई लोग चलते हैं. हिंदू-मुस्लिम और अन्य धर्म की प्रभु प्रेमी आत्माएं विभिन्न प्रकार की मान्यताओं और धार्मिक परंपराओं का पालन करती हैं.
हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के अनुसार वह जिस भगवान, अल्लाह की पूजा करते हैं वह ही श्रेष्ठ, सर्वोच्च और सर्वशक्तिमान है. कबीर जी वास्तव में सर्वोच्च ईश्वर हैं, जो एक संत के रूप में प्रकट हुए, वे धर्म और जाति की बेड़ियों से ऊपर थे. कबीर हिंदू और मुसलमान दोनों को कहते थे कि तुम सब मेरी संतान हो.
हिंदू और मुसलमान दोनों देते हैं कबीर को बराबर का दर्जा
प्राचीन कबीर कुटी के महंत लखनमुनि ने बताया कि कबीर साहेब हिंदू – मुस्लिम धर्म को एक ही कहा है. वे कहते हैं कि ” हिंदू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना, आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना. अर्थात हिंदू हमेशा राम राम कहता है. हिन्दू राम के भक्त हैं और मुसलमान को रहमान प्यारा है. इसी बात पर दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा पहुंचे, तब भी दोनों में से कोई सच को न जान पाया है.
महंत लखनमुनि ने आगे एक और बीजक में रचित दोहा बताते हुए कहा कि एक ही हाड, चाम, मल, मूता, एक रुदीर, एक गुदा. एक बूंद से सृष्टी बनी है, कौन ब्राम्हण कौन सुदा. अर्थात हमरा मल मूत्र, हड्डी, मांस, खून सब एक ही है तो भेद कैसा. कबीर साहेब ने हमेशा एक होने की बात कही. हमेशा समाज को जगाने का काम किया. लोगों को कहा कि हरि को भजे सो हरि का होइ. जातिपांति पूछे नहीं कोई. भगवान को जानने के लिए कोई जातिपांति की आवश्यकता नहीं है. जो कोई भगवान को भजता है वह भगवान को प्राप्त हो जाता है.
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Tags: Chhattisgarh news, Mahasamund News
FIRST PUBLISHED : September 27, 2023, 21:57 IST
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