रायपुर : छत्तीसगढ़ की आत्मनिर्भरता को लेकर लगातार अर्थव्यवस्था हो रही है। महिलाएं अब सिर्फ अपनी किस्मत भी चमका रही हैं। खुशी की बात यह है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की तरह आदिवासियों की महिलाएं भी जापान की महिला उत्पीड़न का नया अध्याय रच रही हैं। दांते के कुआकोंडा विकासखंड के पांच ग्राम हल्दी के निर्माण के लिए चयन किया गया है। इन कश्मीर से जुड़े बिहान ग्रुप की महिलाओं की हल्दी की खेती कर आगे हल्दी जा रही है और उनकी माली हालत दिन-ब-दिन मजबूत हो रही है।
इसके पीछे मुख्य वैश्विक राष्ट्रीय ग्रामीण ग्रामीण मिशन योजना है। इसी तरह के ये डायलॉग्स बिल्कुल संभव हो रहे हैं। यहां ग्राम रेंगानार, गढ़मिरी, कुआकोंडा, हलबारास, मैलावेड और गोगपाल गांव की 50 महिलाओं को उद्यानिकी विभाग से 20 मूल्यवान हल्दी बीज दिए गए हैं। ग्रुप की दीदियों ने 40-40 बच्चों के हल्दी दांतों का अपना-अपना बच्चा बनाया है। फार्मास्युटिकल फर्म को मां दंतेश्वरी कंपनी लिमिटेड कुआकोंडा द्वारा खरीदकर थोक किराना में संचालित किया जा रहा है।
बिहान समूह से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में हल्दी की खेती के लिए अच्छा माहौल है। राष्ट्रीय ग्रामीण मिशन द्वारा हल्दी की खेती को महिलाओं की आर्थिक समृद्धि एवं उद्यम से शुरू की गई पहल की जा रही है। हल्दी का उपयोग जहां घरों में किया जा रहा है, वहीं औषधियों में भी किया जा रहा है। धार्मिक कार्य के अलावा मसाला, रंग सामग्री, उबटन के रूप में काम किया जा रहा है। हल्दी में कैंसररोधी गुण भी पाए जाते हैं। फर्म फर्म द्वारा निर्मित महिलाओं की संख्या भारी है।
पहले प्रकाशित : 21 अगस्त, 2024, 21:59 IST