राजानंदगांव: महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने कृषि विभाग की सहायता से बेल और बबुआ का सामान तैयार करने का एक अनूठा प्रयास किया है, जो पूरी तरह से अलग है। इस प्रयास से न केवल महिलाओं को आर्थिक लाभ हो रहा है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में भी प्रेरणा मिल रही है। राजनांदगांव के ‘संस्कारधानी महिला क्रांतिकारी अभिरुचि समूह’ द्वारा उत्पादित यह उत्पाद स्थानीय बाजार में अच्छी मांग में है।


किसानों से खरीदकर तैयार किया जा रहा है

महिला समूह द्वारा किसानों से बेल और अंब बबीली शामिल हैं, जिसमें सुखाने और अध्ययन करने के बाद सामग्री तैयार की जाती है। इस प्रक्रिया में महिलाओं द्वारा बेल का पल्प आउट किया जाता है, बीज अलग किया जाता है और स्वाद निर्माता शेकर वॅलीम पाउडर का उपयोग किया जाता है। इसके बाद रेफ्रिजरेटर में बॉटलिंग की सुविधा दी जाती है। इसी प्रकार, एक बच्ची के फूलों को सुखाकर और अन्य जरूरतमंद जरूरतमंदों को भी उनका सामान तैयार किया जाता है। इस उत्पाद की बाजार में काफी मांग है, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं।

कृषि विभाग का योगदान
वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जय सिंह खेंगर ने बताया कि यह परियोजना ‘आत्मा योजना’ के तहत शुरू की गई है। इसके माध्यम से महिलाओं को सिगरेट बनाने का लक्ष्य रखा गया है। बेल और बेबी के भोजन को तैयार करने की प्रक्रिया पूरी तरह से प्राकृतिक है, जिसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद या कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है। बबूल में कैल्शियम की मात्रा होती है, जो इसे स्वास्थ्य के लिए बनाता है।

भोजन से हो रही है आय और आत्मनिर्भरता
महिला समूह के महेश्वरी गजेंद्र ने बताया कि बेल और अंब बबी के स्टाफ की तैयारी से उनका अच्छा उद्घोषणा हो रहा है। महिलाएं हजारों रुपये की आय अर्जित कर रही हैं, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। इसके साथ ही, कृषि विभाग की ओर से महिलाओं के लिए नए मूल्यांकन की भी योजना बनाई जा रही है, जहां वे अपने विद्यार्थियों को सहयोगी सहयोगी बनाएंगे। यह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।

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