स्वास्थ्य मंत्रालय ने उच्च ‘शून्य खुराक वाले बच्चों’ पर यूनिसेफ की रिपोर्ट को खारिज किया

मंत्रालय ने कहा कि सरकार के टीकाकरण प्रयासों का सटीक और पूर्ण विवरण संबंधित आंकड़ों और कार्यक्रमगत हस्तक्षेपों की व्यापक समझ के माध्यम से पता लगाया जा सकता है।

भारत में शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या देश की कुल आबादी का 0.11 प्रतिशत है: स्वास्थ्य मंत्रालय

प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया नई दिल्ली

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि मीडिया में आई उन खबरों से देश के टीकाकरण आंकड़ों की अधूरी तस्वीर सामने आती है, जिनमें कहा गया है कि यूनिसेफ की रिपोर्ट के आधार पर अन्य देशों की तुलना में भारत में ‘जीरो डोज वाले बच्चों’ की संख्या अधिक है, जिन्हें कोई टीका नहीं लगा।

मंत्रालय ने कहा कि वे तुलना किये गए देशों की जनसंख्या आधार और टीकाकरण कवरेज को ध्यान में नहीं रखते हैं।

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मंत्रालय ने कहा कि सरकार के टीकाकरण प्रयासों का सटीक और पूर्ण विवरण संबंधित आंकड़ों और कार्यक्रमगत हस्तक्षेपों की व्यापक समझ के माध्यम से पता लगाया जा सकता है।

भारत में सभी एंटीजनों का कवरेज प्रतिशत वैश्विक औसत से अधिक है।

भारत में, अधिकांश एंटीजन के लिए कवरेज 90 प्रतिशत से अधिक है, जो अन्य उच्च आय वाले देशों जैसे न्यूजीलैंड (डीटीपी-1 93 प्रतिशत), जर्मनी और फिनलैंड (डीपीटी-3 91 प्रतिशत), स्वीडन (एमसीवी-1 93 प्रतिशत), लक्जमबर्ग (एमसीवी-2 90 प्रतिशत), आयरलैंड (पीसीवी-3 83 प्रतिशत), यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड (रोटासी 90 प्रतिशत) के बराबर है।

यदि भारत के 83 प्रतिशत कवरेज की तुलना न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) से की जाए, जो सबसे निचले स्तर पर आता है, तो भी यह वैश्विक आंकड़े 65 प्रतिशत से कहीं अधिक है।

तुलना किए गए देशों में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां डीटीपी-1 (पेंटा-1) कवरेज 90 प्रतिशत से अधिक है और ड्रॉपआउट बच्चे यानी वे बच्चे जिन्हें डीटीपी (पेंटा) की पहली खुराक तो मिली लेकिन तीसरी खुराक नहीं मिली, 2 प्रतिशत हैं जबकि तुलना किए गए अन्य देशों में यह अंतर बहुत अधिक है। मंत्रालय ने बयान में कहा कि ये आंकड़े स्पष्ट रूप से देश में इसकी व्यापक सामाजिक-भौगोलिक विविधता के दायरे में केंद्रित कार्यक्रम संबंधी हस्तक्षेपों को दर्शाते हैं।

इसमें कहा गया है कि भारत में शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या देश की कुल जनसंख्या का 0.11 प्रतिशत है।

ये आंकड़े देश के टीकाकरण कार्यक्रम के दायरे और पहुंच को लगातार बढ़ाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

देश का सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल है, जिसका लक्ष्य 1.2 करोड़ टीकाकरण सत्रों के माध्यम से प्रतिवर्ष 2.6 करोड़ बच्चों और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं को टीका लगाना है।

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पूर्ण टीकाकरण कवरेज राष्ट्रीय स्तर पर 93.23 प्रतिशत है। सभी पात्र बच्चों तक पहुँचने और उन्हें टीके से रोके जा सकने वाली बीमारियों से बचाने के लिए लगातार प्रयासों के साथ, देश 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (U5MR) में उल्लेखनीय कमी लाने में सक्षम रहा है, जो 2014 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 45 से घटकर प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 32 हो गई (SRS 2020)।

बयान में कहा गया है कि इसके अलावा, भारत ने 2014 से सुरक्षा के दायरे को बढ़ाने के लिए यूआईपी के तहत छह नए टीकों की शुरुआत करके टीकों की श्रेणी को बढ़ाया है।

शून्य खुराक और कम टीकाकरण वाले बच्चों तक पहुंचने के लिए, भारत ने राज्यों के सहयोग से मिशन इंद्रधनुष और गहन मिशन इंद्रधनुष के तहत पहलों को लागू किया है। इसके परिणामस्वरूप 2014-2023 के बीच शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या में 34 प्रतिशत की कमी आई है।

2014 से अब तक सभी जिलों में मिशन इंद्रधनुष के 12 चरण आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें सभी चरणों में 5.46 करोड़ बच्चों और 1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है।

भारत यूआईपी के तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित टीकों की अधिकतम संख्या प्रदान करता है, जो अन्य देशों की तुलना में अधिक है। भारत के लिए औसत कवरेज 83.4 प्रतिशत है, जो वैश्विक कवरेज का 10 प्रतिशत से अधिक है।

ओपीवी और आईपीवी के उच्च स्तर के कवरेज के साथ, भारत ने 2011 में अंतिम पोलियो मामले का पता चलने के बाद से 13 वर्षों तक सफलतापूर्वक पोलियो-मुक्त स्थिति बनाए रखी है।

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