सूरत में 35 हजार लोगों की मौजूदगी में दीक्षा ली, अब कहलाएंगी साध्वी प्रज्ञाश्री | Who Is Devanshi Sanghvi | Surat Businessman’s 9 Year Old Daughter Will Become Monk

  • Hindi News
  • National
  • Who Is Devanshi Sanghvi | Surat Businessman’s 9 Year Old Daughter Will Become Monk

सूरत8 दिन पहले

देवांशी संघवी का दीक्षा समारोह बुधवार को सूरत में हुआ।

सूरत के हीरा व्यापारी संघवी मोहन भाई की पोती और धनेश-अमी बेन की 9 साल की बेटी देवांशी ने संन्यास ले लिया। देवांशी का दीक्षा महोत्सव वेसू में 14 जनवरी को शुरू हुआ था। आज यानी बुधवार को सुबह 6 बजे से उनकी दीक्षा शुरू हो चुकी है। देवांशी ने 35 हजार से ज्यादा लोगों की मौजूदगी में जैनाचार्य कीर्तियशसूरीश्वर महाराज से दीक्षा ली।

अब वे साध्वी प्रज्ञाश्री कहलाएंगी। देवांशी के परिवार के ही स्व. ताराचंद का भी धर्म के क्षेत्र में एक विशेष स्थान था। उन्होंने श्री सम्मेदशिखर का भव्य संघ निकाला और आबू की पहाडिय़ों के नीचे संघवी भेरूतारक तीर्थ का निर्माण करवाया था।

देवांशी का दीक्षा महोत्सव 14 से 18 जनवरी तक चला।

संगीत, भरतनाट्यम और स्केटिंग में एक्सपर्ट हैं देवांशी
सूरत में ही देवांशी की वर्षीदान यात्रा निकाली गई थी। इसमें 4 हाथी, 20 घोड़े, 11 ऊंट थे। इससे पहले मुंबई और एंट्वर्प में भी देवांशी की वर्षीदान यात्रा निकली थी। देवांशी 5 भाषाओं की जानकार है। वह संगीत, स्केटिंग, मेंटल मैथ्स और भरतनाट्यम में एक्सपर्ट है। देवांशी को वैराग्य शतक और तत्वार्थ के अध्याय जैसे महाग्रंथ कंठस्थ हैं।

पिता धनेश और मां अमी बेन के साथ देवांशी। सूरत में देवांशी की वर्षीदान यात्रा निकाली गई थी।

आज दीक्षा के बाद से देवांशी संयम जीवन ग्रहण करेगी।

कभी नहीं देखा टीवी, 8 साल तक 357 दीक्षा दर्शन, 500 किमी. पैदल यात्रा की
देवांशी ने 8 साल की उम्र तक 357 दीक्षा दर्शन, 500 किमी पैदल विहार, तीर्थों की यात्रा व कई जैन ग्रन्थों का वाचन कर तत्व ज्ञान को समझा। देवांशी के माता-पिता अमी बेन धनेश भाई संघवी ने बताया कि उनकी बेटी ने कभी टीवी देखा नहीं, जैन धर्म में प्रतिबंधित चीजों को कभी इस्तेमाल नहीं किया। न ही कभी भी अक्षर लिखे हुए कपड़े पहने। देवांशी ने न केवल धार्मिक शिक्षा में, बल्कि क्विज में गोल्ड मेडल अर्जित किया। भरतनाट्यम, योगा में भी वह प्रवीण है।

4 महीने की उम्र में त्याग दिया था रात का खाना
अमी बेन धनेश भाई संघवी ने बताया कि देवांशी जब 25 दिन की थी तब से नवकारसी का पच्चखाण लेना शुरू किया। 4 महीने की थी तब से रात्रि भोजन का त्याग कर दिया था। 8 महीने की थी तो रोज त्रिकाल पूजन की शुरुआत की। 1 साल की हुई तब से रोजाना नवकार मंत्र का जाप किया। 2 साल 1 माह से गुरुओं से धार्मिक शिक्षा लेनी शुरू की और 4 साल 3 माह की उम्र से गुरुओं के साथ रहना शुरू कर दिया था।

चुनिंदा तस्वीरों में देखिए देवांशी के दीक्षा महोत्सव के पल…

आपने खबर पढ़ी, अब इस मामले पर अपनी राय जरूर बताएं…

संन्यास से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…

सोनीपत की अंजली, नेपाल की मान्या बनेंगी संन्यासिन

सोनीपत की अंजली जैन अपनी गुरुणी के साथ

मेरठ में एसएस जैन सभा की ओर से एक जनवरी को जैन नगर स्थित गुरु निहाल स्मारक स्थल पर भव्य जैन भागवती दीक्षा कार्यक्रम हुआ। इस आयोजन में सोनीपत की अंजलि और नेपाल की मान्या जैन सांसारिक जीवन से संन्यास लिया। इस दीक्षा से पहले दोनों बेटियों की महाभिनिष्क्रमण यात्रा हुई। पढ़ें पूरी खबर…​​​​​​

खबरें और भी हैं…

<

  • susheelddk

    Related Posts

    वेब स्टोरी कैसे लिखें

    वेब स्टोरी एक विजुअली समृद्ध, मोबाइल-केंद्रित सामग्री प्रारूप है जो आकर्षक, इंटरैक्टिव अनुभव बनाता है और वेब पर वितरित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। वेब स्टोरी वेब स्टोरी…

    AI सेक्स डॉल

    बर्लिन में इस महीने के अंत में, लोग एक घंटे के लिए AI सेक्स डॉल के साथ समय बुक कर सकेंगे क्योंकि दुनिया के पहले साइबर वेश्यालय ने परीक्षण चरण…

    You Missed

    पवित्र रथ नगरी पुरी में लाखों भक्तों का सैलाब उमड़ा, देवताओं की रथ यात्रा का उत्सव

    भारत के साथ एफटीए को अंतिम रूप देने के लिए तैयार: नए यूके पीएम कीर स्टारमर ने मोदी से अपनी पहली कॉल में कहा

    “Kalki 2898 AD” – एक नई साइंस-फिक्शन महाकाव्य

    आइसक्रीम रीकॉल: लिस्टेरिया संक्रमण का खतरा

    लेकर्स ने उभरते सितारे डाल्टन क्नेक्ट के साथ विस्तार समझौता किया

    जॉर्जिया बनाम पुर्तगाल 2-0: यूईएफए यूरो 2024 – मैच का पूरा विवरण