आकाश शुक्ला, रायपुर। छत्तीसगढ़ से बड़ी खबर है. राज्य में इंस्टा, फेसबुक, स्नेपचेट जैसे सोशल साइट्स, ऑनलाइन गेम जैसे माध्यमों से गर्ल्स बेटियाँ ब्लैकमेलिंग, पोर्नोग्राफ़ी का शिकार बन गए हैं। राजधानी रायपुर में जहां हर महीने 5 से 10 केस पुलिस के पास पहुंच रहे हैं, वहीं पूरे राज्य में यह आंकड़ा 30 से ज्यादा है। ये पात्र भी कम हैं, क्योंकि कई लोकलाज के डर से मामले की शिकायत करने वाले लोग पुलिस के पास नहीं पहुंच पाते हैं। लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए पुलिस ने लोगों से सावधान रहने की अपील की है।
ब्लैकमेलिंग और पोर्नोग्राफी के मामले की नकल को देखने के लिए News18 ने गहन पड़ताल की। इस तर्क में राजपूत का एक पीड़ित परिवार मिला। इस परिवार ने बताया कि उनकी 15 साल की बेटी फ्री फायर ऑनलाइन गेम खेलती थी। इस गेम को खेलने के लिए गुजरात के एक स्पेशलिस्ट ने अपना नंबर लिया। युवक ने बेटी से दोस्ती की और उसका विश्वास जीत लिया। इसके बाद ब्लैकमेलिंग की शुरुआत हुई। यह बीच का लड़का और उसके पिता गुजरात के रायपुर प्रदेश से हैं। दोनों नाबालिग लड़की और परिवार को मार डाला, छोटी बहन को तोड़ने की खतरनाक स्थिति बनी। इस तरह का धमाका-धमाकेकर वे मद्रास को अपने साथ ले गए। पीड़ित परिवार ने 27 सितंबर को मौदहा पारा थाने में बंधक दर्ज कराया। पुलिस ने कड़ी संकट से लड़की को ढूंढा। इस मामले में नाबालिग नाबालिग लड़का और उसके पिता के साथ केस चल रहा है।
स्नैपशेट से दोस्ती, फिर ब्लैकमेलिंग, नाबालिग
ऐसा ही मामला कुछ दिन पहले रायपुरे की पुरानी बस्ती थाने में आया था। इस मामले में बातचीत के थाना गिरवाई में रहने वाले युवाओं ने बी टीएस ब्यॉय के नाम से स्नैपचैट बनाया। उन्होंने किसी तरह से राजपूत की रहने वाली एक नाबालिग लड़की की फिल्म की फोटो ली। उसके बाद वह कंपनी की मांग करने लगा। जब लड़की ने पैसे नहीं दिए तो नाबालिग ने अपने परिवार के सदस्यों, नाबालिगों की सहेलियों और स्कूल के शिक्षकों सहित कई लोगों को उसकी फोटो और वीडियो नीचे भेज दिए। युवाओं ने इसी तरह की अलग-अलग लड़कियों को अपना शिकार बनाया था। पुलिस ने उसके गैरकानूनी खिलाफ, सुरक्षा अधिनियम और 15 लैंगिक अपराध से लेकर बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत धाराएं दर्ज कीं।
लगातार सामने आ रहा मामला-ओपीएसपी पटले
रायपुर के ओपीध्यक्ष लखन पटले ने बताया कि 15 साल की उम्र में मद्रास पुलिस ने 15 साल की उम्र में अपने साथियों की तलाश शुरू कर दी थी। आगे की कार्रवाई चल रही है. नाबालिग लड़कियों से सोशल साइट्स के जरिए दोस्ती कर इस तरह के मामले आ रहे हैं। पुलिस इस पर सख्ती और कार्रवाई कर रही है। लेकिन, इसके लिए बच्चों की देखभाल और जागरूकता की भी जरूरत है, ताकि इस तरह के मामलों को ठीक किया जा सके।
नाबालिग बेटियाँ इस कारण से बन रही हैं
छत्तीसगढ़ में मणिकर्णिका संस्थान की संचालिका और समाज सेवी हर्षिला रूपाली शर्मा का कहना है कि नामांकन के लिए सोशल साइट्स के माध्यम से काम किया जा रहा है। छोटी उम्र और किशोरावस्था न से वह झांसे में होने से आसानी से आ जाती है। हमने पिछले दो सालों में 5 से 6 दिनों तक लापता लोगों की मदद की है। रायपुर में 15 साल की बच्ची को घर लाकर भी संस्थान ने खानापूर्ति की। रूपाली का कहना है कि माता-पिता बच्चों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसकी वजह से सोशल साइट्स मीडिया से अलग-अलग तरह के मामले सामने आ रहे हैं।
दशरथ और सामाजिक जागरूकता जरूरी-मोझरकर
रायपुर के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ और बच्चों के काउंसलर डॉक्टर निलय मोझरकर का कहना है कि किशोरावस्था की उम्र किशोरावस्था है। इसमें संभलना जरूरी है. माता-पिता को बच्चों के साथ व्यवहार व्यवहार रखना चाहिए। राइट-गलत को लेकर फ्रैंक करने और ध्यान रखने की जरूरत है बात। जो भी मामले सामने आ रहे हैं वे अकेलेपन, लक्षण का अभाव, सही मार्गदर्शन न होने की वजह से सामने आ रहे हैं। कानून के साथ-साथ सामाजिक रूप से भी ध्यान देने की जरूरत है।
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पहले प्रकाशित : 10 सितंबर, 2024, 07:58 IST