रायपुर: छत्तीसगढ़ में कृषि क्षेत्र में नए वनों का उदय हो रहा है। पारंपरिक मसालों के साथ-साथ अब राज्य में किसानों के लिए आय और रोजगार का नया स्रोत बन रही है। फूलों की मांग धार्मिक और सामाजिक संगठनों के साथ-साथ औषधि, परफ्यूम, और उद्योग उद्योग में भी वृद्धि हो रही है। आस-पास की राजधानी के कई किसान इस प्यासी मांग को देखते हुए फूलों की खेती की ओर से व्यापार कर रहे हैं। बागवानी विभाग के अनुसार, ठंड का मौसम फूलों की खेती के लिए उपयुक्त होता है।
बाला और रजनीगंधा का विकल्प
लोक 18 से बात करते हुए हॉर्टिकल्चर विभाग के निदेशक कैलाश पैकरा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में फूलों की खेती बहुत अच्छी है। किसान बाला और रजनीगंधा जैसी फसलें खुले में उपलब्ध हैं, जबकि गुलाब, केचरोजा और जरबेरा के लिए पॉली हाउस की आवश्यकता होती है। राज्य में किसान दोनों प्रकार से फूलों की खेती कर रहे हैं और इससे वे अच्छी आय हो रही हैं।
फूलों का बढ़ा हुआ रकबा और बाजार में मसाले
कैलाश पैकारा ने आगे बताया कि किसान अब धान की जगह गेंदा और रजनीगंधा की खेती कर रहे हैं, जो बारह महीने चलने वाले फूल हैं। पहले की तुलना में फूलों की खेती का रकबा अब 350 एकड़ तक बढ़ गया है। शहर के आस-पास के क्षेत्र में फूलों की खेती अधिक हो रही है, जिससे किसानों को स्थानीय बाजार में बेहतर कीमत मिल रही है।
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त्योहारी सीज़न में भारी माँग और लाभ
त्योहारों के समय में फूलों की मांग बढ़ती है, जिससे फूलों की खेती करने वाले किसानों का भला होता है। दीपावली पर एक गेंद का भाव 60 रुपये प्रति किलो तक होता है, जबकि गुलाब का एक फूल 8 से 12 रुपये में बिकता है। सीज़न के रिकॉर्ड से नामांकित में उद्घाटन होता है, लेकिन फूलों की खेती से धान की तुलना में डुगुना उद्गम होता है। एक एकड़ में फूल की खेती से किसान 2.5 से 3 लाख रुपए तक कमा सकता है, जबकि धान से यह 60-65 हजार तक सीमित है।
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पहले प्रकाशित : 6 नवंबर, 2024, 18:20 IST